शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. क्या तुम जानते हो?
  4. how american civil war gave birth to pav bhaji
Written By
Last Updated : गुरुवार, 30 जून 2022 (17:43 IST)

पाव-भाजी आई कहां से, जानिए अमेरिकी सिविल वॉर ने कैसे दिया पाव-भाजी को जन्म?

पाव-भाजी आई कहां से, जानिए अमेरिकी सिविल वॉर ने कैसे दिया पाव-भाजी को जन्म? how american civil war gave birth to pav bhaji - how american civil war gave birth to pav bhaji
प्रथमेश व्यास
यूं तो स्वादिष्ट खाने की तलाश में हम कई बड़े-बड़े कैफे और रेस्टोरेंट में जाते हैं, लेकिन स्ट्रीट फूड की बात ही कुछ और होती है। सड़क किनारे ठेलों के पास खड़े होकर गोलगप्पे, छोले-भटूरे, छोले टिकिया, मसाला डोसा, जलेबी जैसी चीजें खाना भला किसे पसंद नहीं होगा। इन सबके अलावा एक और डिश है, जो शुरू तो महाराष्ट्र से हुई, लेकिन आज पूरे भारत के लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं। इस डिश का नाम है - पाव-भाजी, जो शायद भारतियों द्वारा सबसे ज्यादा खाए जाने वाले स्ट्रीट फूड में से एक है।
 
पाव-भाजी कैसे बनाई जाती है ये तो हममे से कई लोगों को पता होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पाव-भाजी आई कहां से, इसकी खोज कैसे हुई और इसे पहली बार कैसे बनाया गया? चलिए पता लगाते हैं। ...
 
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिकी सिविल वॉर ने पाव भाजी को जन्म दिया। दरअसल, 1861 में अमेरिकी सिविल वॉर या गृहयुद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें अमेरिका के उत्तरी और दक्षिण संघीय राज्यों के बीच युद्ध छिड़ गया। इस आतंरिक कलह के चलते दोनों पक्षों को मिलाकर करीब 6 लाख लोगों ने अपनी जानें गंवाई थी। अमेरिका का कपास उस वक्त दुनिया के कई देशों में बेचा जाता था लेकिन युद्ध के कारण अमेरिका का विश्वप्रसिद्ध कपास का व्यापार ठप हो गया। मांग बढ़ने लगी, लेकिन सप्लाई बिल्कुल बंद हो चुका था। इस आपदा को अवसर में बदला उस समय के बॉम्बे कपास मिल के मालिक कावसजी नानाभाई डावर ने। उन्होंने कपास की बढ़ती मांग को देखते हुए दुनियाभर से आर्डर लेना शुरू कर दिए। हर ग्राहक तक कपास पहुंचाने के लिए बॉम्बे कपास मिल के वर्करों ने युद्धस्तर पर काम किया। 
 
अब ओवरटाइम करने वाले इन सभी भूखे मजदूरों को खाने के लिए कुछ सस्ता और जल्दी चाहिए था। इसकी वजह थी कि शुरू के कुछ महीनों में कपास मिल के मजदूरों को कम पैसे दिए जाते थे। ये सभी श्रमिक रात को भारी मात्रा में सड़क किनारे ठेला लगाने वाले स्ट्रीट फूड विक्रेताओं के पास पहुंच जाते थे, जो एक साथ इतने सारे लोगों को खाना खिलाने में थक जाया करते थे। इसी बीच इन स्ट्रीट फूड विक्रेताओं ने एक नई डिश खोज निकाली। उन्होंने दिनभर की बची हुई बासी सब्जियों में कुछ मसालों को मिलाकर भाजी तैयार की, जिसे सस्ते दामों पर मिल जाने वाले बेकरी के बचे हुए ब्रेड के साथ परोसा जाने लगा। ब्रेड को बड़े से तवे पर मक्खन लगाकर सेका जाता था। देखते ही देखते जुगाड़ से बनाया गया ये व्यंजन बॉम्बे मिल के भोले-भाले मजदूरों का पसंदीदा बन गया। 
 
इस घटना के कुछ सालों बाद पुर्तगालियों ने मुंबई में 'पाव' की पेशकश की, जिसे पश्चिमी देशों में खाए जाने वाले 'बन' (Bun) या डबल रोटी के 4 टुकड़े करके बनाया गया था । धीरे-धीरे पाव-भाजी महाराष्ट्र का पसंदीदा नाश्ता बन गई। कुछ सालों बाद लोगों ने भाजी में अलग-अलग तरह की दालों को मिलाना शुरू कर दिया। मसालों का मिश्रण बदला, पाव को सेकने का तरीका बदला लेकिन आज भी पाव-भाजी को हम उतने ही चाव से खाते हैं, जितने चाव से इसे 250 साल पहले बॉम्बे कॉटन मिल के मजदूरों ने खाया होगा।