कुबेर का निवास वटवृक्ष पर बताया गया है। ऐसे वृक्ष घर-आंगन में नहीं होते, गांव के केंद्र में भी नहीं होते हैं। अधिकतर गांव के बाहर या बियाबान में होते हैं। उन्हें धन का घड़ा लिए कल्पित किया गया।
कुबेर का धन अत्यंत भौतिक और स्थूल है। अतः यह स्पष्ट है कि आर्य देव परंपरा में कुबेर इतना भी जो स्थान पा सके हैं, वह केवल अपने धन के प्रभाव के कारण ही है।
* कुबेर यक्षों के राजा हैं। अलकापुरी में रहते हैं जो कि एक जगमगाती नगरी है।
FILE
* वे देवताओं के खजांची हैं।
* वे थोड़े थुलथुल हैं। उनकी ठुड्डी दोहरी है, वे तुंदियल भी हैं। उनकी तोंद उनकी समृद्धि की प्रतीक है।
* कुबेर का पालतू नेवला जब मुंह खोलता है, जवाहरात उगलता है।
* सोने की लंका कुबेर ने बनाई थी जिसे राक्षसराज रावण ने हथिया ली।
* जैसे विष्णु का वाहक गरुड़ और शिव के वाहन नंदी हैं, कुबेर का वाहन मनुष्य है- धन का गुलाम मनुष्य।