गणगौर लोकपर्व होने के साथ-साथ रंगबिरंगी संस्कृति का अनूठा उत्सव है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष तौर पर केवल महिलाओं के लिए ही होता है। वर्ष 2023 में यह पर्व 24 मार्च 2023, दिन शुक्रवार को (gangaur kab hai 2023) मनाया जा रहा है।
भगवान शिव तथा माता पार्वती हमारे आराध्य हैं, पूज्य हैं। इस दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री-समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था। इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं। महिलाओं नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं।
गणगौर व्रत पूजा विधि-
- चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोएं जाते हैं।
- चैत्र कृष्ण एकादशी के दिन से विसर्जन तक व्रती को एकासना (एक समय भोजन) रखना चाहिए।
- इन जवारों को ही देवी गौरी और शिव या ईसर का रूप माना जाता है।
- गौरी जी का विसर्जन जब तक नहीं हो जाता (करीब 8 दिन) तब तक प्रतिदिन दोनों समय गौरी जी की विधि-विधान से पूजा करके उन्हें भोग लगाया जाता है।
- गौरीजी की इस स्थापना पर सुहाग की वस्तुएं, जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघी, शीशा, काजल आदि चढ़ाई जाती हैं।
- सुहाग की सामग्री को चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि से विधिपूर्वक पूजन कर गौरी को अर्पण किया जाता है।
- इसके पश्चात गौरी जी को भोग लगाया जाता है।
- भोग के बाद गौरी जी की कथा कही जाती है।
- कथा सुनने के बाद गौरी जी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियां अपनी मांग भरती है।
- कुंआरी कन्याएं भी इन दिनों गौरी जी को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
- तत्पश्चात चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) को गौरी जी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं।
- चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराकर, उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण आदि पहनाकर डोल या पालने में बिठाएं।
- इसी दिन शाम को गाजे-बाजे से नाचते-गाते हुए महिलाएं और पुरुष भी एक समारोह या एक शोभायात्रा के रूप में गौरी-शिव को नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर विसर्जित करें।
- शाम को उपवास छोड़ें।
- गणगौर पूजन में मां गौरी के 10 रूपों की पूजा की जाती है। मां गौरी के 10 रूप- गौरी, उमा, लतिका, सुभागा, भगमालिनी, मनोकामना, भवानी, कामदा, सौभाग्यवर्धिनी और अम्बिका है।
- मान्यतानुसार इस व्रत को करने से सुख-सौभाग्य, समृद्धि, संतान तथा ऐश्वर्य में वृद्धि होती है और जीवन खुशहाल होता है।
ईसर गौरा जी पूजा के शुभ मुहूर्त
गणगौर पर्व : 24 मार्च 2023, दिन शुक्रवार
चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ- 23 मार्च 2023 को शाम 6.20 मिनट से।
तृतीया तिथि का समापन- 24 मार्च 2023 को शाम 4.59 मिनट पर।
24 मार्च 2023, शुक्रवार : दिन का चौघड़िया
चर- 06.21 ए एम से 07.53 ए एम
लाभ- 07.53 ए एम से 09.24 ए एम
अमृत- 09.24 ए एम से 10.56 ए एम
शुभ- 12.28 पी एम से 01.59 पी एम
चर- 05.03 पी एम से 06.34 पी एम
रात का चौघड़िया
लाभ- 09.31 पी एम से 10.59 पी एम
शुभ- 12.27 ए एम से 25 मार्च 01.55 ए एम तक
अमृत- 01.55 ए एम से 25 मार्च 03.23 ए एम तक
चर- 03.23 ए एम से 25 मार्च 04.52 ए एम तक।