शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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Friendship Day 2021 : कॉलेज लाइफ ने सिखाया सच्‍चे दोस्‍त और खुद की पहचान करना

Friendship Day 2021 : कॉलेज लाइफ ने सिखाया सच्‍चे दोस्‍त और खुद की पहचान करना - happy  friendship day 2021 how college life taught us about real life and friends
स्‍कूल जा रहे बच्‍चों को अपनी लाइफ में कॉलेज लाइफ का ब्रेसबी से इंतजार रहता है। क्‍योंकि वहां पर वह आजादी महसूस करते हैं, पढ़ना हो तो पढ़ो वरना नहीं, कभी क्‍लास बंक मार दी और दोस्‍तों के साथ घुमने निकल पड़ते हैं। लेकिन कॉलेज लाइफ ऐसा पड़ाव होता है जहां अनगिनत लोगों से मुलाकात होती है। लेकिन उनमें से कुछ लोग हमारे दोस्‍त से हमारे परिवार जैसे बन जाते हैं। इस दौरान कई उतार -चढ़ाव भी आते हैं। तो कुछ दोस्‍त हमारा साथ छोड़ देते हैं और कुछ हमारे साथ खड़े रहते हैं। दरअसल, कॉलेज में असाइनमेंट बनाने के दौरान आपको आपकी और अपने दोस्‍तों की पहचान होती है। कौन आपका दोस्‍त है, साथी आपकी कितनी मदद कर रहा है, मन में किसी तरह की होड़ तो नहीं है। वहीं जरूरत पड़ने पर कॉलेज के साथी आपके साथ है या नहीं। ये बहुत छोटी -छोटी बातें है लेकिन आपके साथ जिंदगी भर दोस्‍त बनने का वादा भी करते हैं। 
 
कॉलेज लाइफ में बहुत सारे अवसर आते हैं अपना करियर तय करने के लिए, उस मार्ग पर चलने के लिए, प्रतियो‍गिता होती है, नेशनल-इंटरनेशनल लेवल तक..वहां पर हम समझते हैं हमारा पोटेंशियल कितना है। आगे लाइफ में क्‍या करना चाहते हैं, क्‍या बनना चाहते हैं। हालांकि कुछ आदमखोर दोस्‍त भी होते हैं जो ना ही पढ़ाई करते हैं और ना ही पढ़ाई करने देते हैं लेकिन कंधे पर इस तरह हाथ रखकर खड़े होते हैं जैसे तिनके को सहारा मिल गया हो।

कॉलेज लाइफ सिर्फ पढ़ाई के बारे में ही नहीं होती वहां से एक बड़ी सी खुशनुमा जिदंगी के सपने भी बुने जाते हैं...कॉलेज एक रनवे की तरह होता है, और वहां से आपकी लाइफ टेकऑफ होती है। इसलिए कॉलेज में पहुंचने के बाद हर चीज का ख्‍याल रखा जाता है। वहां दोस्‍त भी बनाने होते हैं तो जिंदगी भी, वहां दोस्‍तों के बीच होड़ भी होती है, कई सारे अवसर आपके दरवाजे पर टकटकी लगाए हुए बैठती है, मैनेजमेंट से मनी मैनेजमेंट तक सबकुछ सीखा जाता है। क्‍योंकि दोस्‍तों के संग घूमने भी जाना होता है तो पैसे भी कमाने होते हैं।
 
लेकिन, असली दोस्‍त की पहचान सही मायने में तब होती है 'जब आपको किसी कार्य को करने के लिए विचार नहीं करना पड़ें। कभी कुछ कहने के पहले सोचना नहीं पड़ें न ही रोने के पहले लिहाज या विचार करना पड़ें। जिनके समक्ष अपनी भावना को व्‍यक्‍त करने के लिए शब्‍द, कथन, विचार, हालात के बारे में तनिक भी विचार नहीं करना पड़े। और जब जीवन के किसी भी पड़ाव पर पहुंच जाए लेकिन इस बात का घमंड हमेशा रहे कि वह मेरा मित्र हैं...।'