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Last Updated : गुरुवार, 26 दिसंबर 2019 (16:11 IST)

वर्ष 2019 के 7 टॉप धार्मिक घटनाक्रम

year ending 2019 | वर्ष 2019 के 7 टॉप धार्मिक घटनाक्रम
यह वर्ष राजनीतिक ही नहीं बल्कि धार्मिक घटनाओं से भी भरा हुआ रहा है। देश और दुनिया में उथल-पुथल रही है। आइए जानते हैं वर्ष 2019 में भारत की 7 प्रमुख धार्मिक घटनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
1. प्रयागराज कुंभ मेला : यह मेला उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हुआ था। इस बार कुंभ इसलिए खास था, क्योंकि उत्तरप्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार थी जिसने इस आयोजन को आधुनिक और भव्य बानकर देश और दुनिया में प्रशंसा बटोरी। यह मेला जनवरी माह में आयोजित हुआ था जिसमें अमित शाह, नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेता शामिल हुए थे। इसी मेले में अयोध्या मामले के निपटारे और राम मंदिर बनाने की भूमिका तैयार हुई थी। इस कुंभ मेले में 2013 में आयोजित कुंभ मेले की अपेक्षा दोगुनी तादाद में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। एक आंकड़े के अनुसार 2019 के कुंभ में 24 करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान किया।

 
2. सबरीमाला मंदिर विवाद : इस बार केरल में सबरीमाला का मंदिर पूरे वर्ष चर्चा में रहा। यहां 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला दिया था जिसके बाद यहां भयंकर विवाद प्रारंभ हुआ। सबरीमाला में हिन्दू समूहों की ओर से लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। इसके बाद कोर्ट में 65 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया था। जिस मामले में 14 नवंबर 2019 को नया फैसला आया, उसमें कहा गया की पिछला फैसला बरकरार रहेगा। सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे।

 
3. अयोध्या मामले में फैसला : धार्मिक भावनाओं से जुड़े देश के सबसे बड़े अयोध्या मामले पर इस वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया। वर्षों पुराने इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019, शनिवार को ऐतिहासिक फैसला दिया। 1 सदी से अधिक पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए कोर्ट ने व्यवस्था दी कि मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने इस बहुप्रतीक्षित फैसले के मुख्य अंश पढ़कर सुनाए तथा इसमें उन्हें 45 मिनट लगे। संविधान पीठ ने 1,045 पन्नों का फैसला दिया। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल थे।

 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिन्दू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था और उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद में अपना मामला साबित करने में विफल रहा है। इसने कहा कि विवादित ढांचे में ही भगवान राम का जन्म होने के बारे में हिन्दुओं की आस्था अविवादित है। यही नहीं, सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडारगृह की उपस्थिति इस स्थान के धार्मिक तथ्य की गवाह हैं। अत: संपूर्ण भूमि हिन्दू पक्ष को दी जाती है।

 
इससे पहले संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि 3 पक्षकारों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान) के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी।

 
4. तीन तलाक मामला : यह मामला सीधे तौर पर धर्म से तो नहीं जुड़ा है लेकिन इस सामाजिक कुरीति का कहीं-न-कहीं धर्म से संबंध होने के कारण यह वर्ष 2019 की चर्चित घटना है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में ही एक बार में तीन तलाक दिए जाने को असंवैधानिक करार दिया था। बाद में तीन तलाक से संबंधित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 पर 30 जुलाई 2019 मंगलवार को संसद की मुहर लग गई जिसके चलते अब यह कानून बन गया। बिल में एकसाथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक दिए जाने को अपराध करार दिया गया है, जो कि गैरजमानती होगा। इस बिल में दोषी को जेल की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है। इस बिल के कानून बनने के बाद करोड़ों मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली और खुशियां मनाईं, हालांकि इसको लेकर विवाद भी बहुत हुआ था।

 
5. अमरनाथ और कैलाश मानसरोवर यात्रा : इस बार अमरनाथ यात्रा पर आतंक का साया मंडराता रहा, हालांकि सुरक्षा के चलते कोई बड़ी घटना नहीं हुई। 1 जुलाई 2019 से शुरू हुई बाबा अमरनाथ की यात्रा के 29 दिनों में 3.20 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हिम शिवलिंग के दर्शन किए। इस यात्रा में लगभग 26 श्रद्धालुओं के अलावा 2 स्वयंसेवियों और 2 सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो गई थी। हालांकि 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होना था लेकिन संसद द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने की सुगबुगाहट के चलते यात्रा को बीच में ही रोककर सभी यात्रियों और पर्यटकों से घर लौटने को कहा गया।

 
दूसरी ओर जून से प्रारंभ होने वाली कैलाश मानसरोवर की यात्रा डोकलाम विवाद के चलते नाथुला दर्रे से नहीं होकर इस बार लिपुलेख दर्रे से हुई। यात्रा में इस साल 18 दलों के कुल 949 यात्री शामिल थे। इनमें 747 पुरुष और 202 महिलाएं थीं। इनमें से पारिवारिक और अन्य कारणों से 23 यात्रियों ने यात्रा बीच में ही छोड़ दी, जबकि एक यात्री की गुंजी में हार्टअटैक से मौत हो गई। इस यात्रा में वैसे तो चीन की सुरक्षा एजेंसियों ने भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार किया लेकिन कुछ यात्रियों द्वारा मानसरोवर के पास यज्ञ करने को लेकर विवाद हो गया। सावन के आखिरी सोमवार को हिन्दू तीर्थयात्रियों ने चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र में स्थित कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील किनारे हवन और पूजन किया। इस पर अली प्रीफेक्चर के डिप्टी कमिश्नर जी. किंगमिन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कर कहा कि भारतीय तीर्थयात्री उनके क्षेत्र में आते हैं, ऐसे में उन्हें नियम और कानूनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम भारत जाएंगे तो हम भी वहां के नियमों का पालन करेंगे।

 
6. करतारपुर कॉरिडोर और गुरुनानकजी का 550वां जन्मोत्सव : 12 नवंबर को गुरुनानकजी की 550वीं जयंती संपूर्ण देश और देश से बाहर धूमधाम से मनाई गई। इसी जयंती के चलते भारत और पाकिस्तान ने मिलकर भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के पंजाब में स्थित करतारपुर साहिब तक कॉरिडोर बनाया। पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक भारत ने कॉरिडोर बनाया, उसके आगे करतारपुर तक पाकिस्तान ने कॉरिडोर बनाया है।

 
मोदी सरकार के प्रयासों के चलते देश में गुरुनानकजी की जयंती पर नवंबर में लगभग 1,467 से अधिक श्रद्धालुओं ने कारतारपुर गुरुद्वारे में अरदास की। यह यात्रा दोनों ही देश में बहुत ही चर्चा का विषय रही। पाकिस्तान ने इस यात्रा की आड़ में खालिस्तान समर्थकों को उकसाया, वहीं भारत ने इस यात्रा के लिए सिख समुदाय को हर तरह की सुविधाएं देने और पाकिस्तान में दोनों ही गुरुद्वरा दर्शन करने को आसान बनाया।

 
7. धार्मिक आधार पर उत्पीड़न : वर्ष 2019 में बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक सहित अन्य कई मुस्लिम राष्ट्रों में धार्मिक आधार पर दूसरे धर्म के लोगों के साथ उत्पीड़न किया गया। पाकिस्तान में ईसाई, अहमदिया, शिया, सिख और हिन्दू समुदाय के साथ सबसे ज्यादा उत्पीड़न हुआ। ऐसी कई खबरें आती रहीं कि ईसाई, हिन्दू और सिख लड़कियों को जबरन उठाकर ले जाया गया और उनका किसी मुस्लिम से निकाह कर दिया गया। मुस्लिम राष्ट्रों के अलावा चीन में उइगर और म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अभियान चलाया जाना भी खासा चर्चा में रहा।
 
 
श्रीलंका में तमिल हिन्दुओं के उत्पीड़न के बाद तमिलनाडु में लाखों की संख्‍या में शिविर में रह रहे तमिलों की घर वापसी भी चर्चा में रही। दूसरी ओर श्रीलंका के कोलंबो में अप्रैल माह में ईस्टर पर मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा 3 चर्च पर किए गए सिलसिलेवार बम हमले में 11 भारतीयों में समेत 258 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 500 अन्य जख्मी हो गए थे। इसके बाद वहां मुस्लिमों के खिलाफ बौद्ध अनुयायियों ने जमकर प्रदर्शन किए। श्रीलंका की 2.1 करोड़ आबादी में 9 प्रतिशत मुस्लिम हैं जिन पर आतंकवादी संगठन आईएस से जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं। कहा यह गया कि यह हमला न्यूजीलैंड में क्राइस्टचर्च मस्जिद पर हुए हमले का जवाब है। मार्च 2019 में मस्जिद में हुई गोलीबारी में लगभग 50 मुस्लिमों की मौत हो गई थी।