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क्‍या है पतंजलि का भ्रामक विज्ञापन विवाद, कैसे शुरू हुआ ये सारा बखेड़ा?

Patanjali
  • सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराया रामदेव का माफीनामा
  • रोक के बाद भी भ्रामक विज्ञापन नहीं रोके पतंजलि ने
  • एलोपैथी को लेकर रामदेव ने दिए विवादित बयान 
What is Patanjali misleading advertising controversy : पतंजलि लगातार अपनी दवाईयों और विज्ञापन के लिए विवादों में रहा है। पिछले कुछ समय से पतंजलि लगातार सुप्रीम कोर्ट की फटकार खा रहा है। एक बार फिर कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्‍ण को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आप नतीजे भुगतने को तैयार रहे। आपने 3 बार कोर्ट का आदेश नहीं माना है।

बता दें कि पतंजलि लगातार आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर अपने भ्रामक विज्ञापन चला रहा है, जिस पर कोर्ट ने रोक लगाई थी। लेकिन कोर्ट के आदेश और रोक के बावजूद पतंजलि भ्रामक विज्ञापन चला रहा है। बता दें कि आदेश का उल्‍लंघन करने पर रामदेव और बालकृष्‍ण ने माफी भी मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने रामदेव का माफीनामा ठुकरा दिया। कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि क्‍यों न हम आपकी माफी को कोर्ट के तिरस्‍कार के तौर पर लें। जानते हैं आखिर क्‍या है ये पूरा विवाद और अब तक मामले में क्‍या हुआ।

कैसे शुरू हुआ विवाद : पतंजलि विवाद जुलाई 2022 में शुरू हुआ था। पतंजलि ने अखबार में एक विज्ञापन जारी किया था। जिसका शीर्षक था- 'एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमियां।' इस एड में पतंजलि ने आंख-कान की बीमारियों, लिवर, थायरॉइड, अस्थमा में एलोपैथी इलाज और त्वचा संबंधी बीमारियों को नाकाम बताया था। विज्ञापन में ये दावा भी किया गया था कि इन बीमारियों को पतंजलि की दवाईयां और योग पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं।

क्‍या थे पतंजलि के दावे : कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनकी दवाई कोरोनिल (Coronil) और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। रामदेव ने कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूरी मिलने की बात कही थी। कोरोनिल दवा को लॉन्च करते समय मंच पर रामदेव के साथ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी मौजूद थे। दवाई को लेकर खूब विवाद हुआ था।

जब सुप्रीम कोर्ट गया मामला : पतंजलि के विज्ञापनों और एलोपैथी को लेकर रामदेव के दावों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) सुप्रीम कोर्ट गया था। IMA ने अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। IMA का कहना था कि पतंजलि के दावे औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करते हैं।

भ्रामक विज्ञापन पर लगी रोक : कोर्ट ने नवंबर 2023 में पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन पर अस्थायी रोक लगाई। इसके बाद पतंजलि ने आश्वासन दिया था कि वो ऐसे विज्ञापन जारी नहीं करेगी, लेकिन कुछ दिन बाद ही कंपनी ने दोबारा भ्रामक विज्ञापन शुरू कर दिए। साथ ही कोर्ट ने पतंजलि को मीडिया से दूरी बनाने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश के एक दिन बाद ही रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।

एलोपैथी को लेकर विवादित बयान : बाबा रामदेव ने 21 मई, 2021 को कहा था कि एलोपैथी बकवास विज्ञान है और रेमेडिसिवीर और फेविफ्लू जैसी दवाईयां कोरोना मरीजों के उपचार में पूरी तरह विफल रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि लाखों मरीजों की मौत ऑक्सीजन की वजह से नहीं एलोपैथिक दवाईयों से हुई है। अपने इस बयान पर रामदेव ने माफी मांगी थी, लेकिन एक दिन बाद ही उन्होंने IMA को एक पत्र लिखकर एलोपैथी से जुड़े 25 सवालों के जवाब भी मांगे थे।

पतंजलि के विवाद : पतंजलि ने 2015 में बिना लाइसेंस लिए आटा नूडल्स लॉन्च कर दिए थे। इसके बाद पतंजलि कंपनी को लीगल नोटिस जारी किया गया था। वहीं पतंजलि ने 2018 में गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डेट लिख दी थी। इस पर भी पतंजलि को फटकार लगी थी। इसके बाद 2022 में पंतजलि के गाय के घी में मिलावट सामने आई थी। बता दें कि उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ से किए गए परीक्षण में खाद्य सुरक्षा मानकों पर घी खरा नहीं उतरा था।
Edited by: Navin Rangiyal