- 1988 के सैन्य विद्रोह में भारत मालदीव के साथ खडा रहा
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2015 में ऑपरेशन नीर के जरिए मालदीव को जलसंकट से उबारा
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2020 में मीजल्स के प्रकोप में भारत ने टीके की 30,000 खुराकें भेजी
1988 में मालदीव में तख्तापलट के खिलाफ दुनिया में अगर कोई देश था, जिसने सबसे पहले मालदीव की मदद की तो वो था भारत। तख्तापलट के दौरान भारतीय सेना ने तत्काल मालदीव की मदद की। बात चाहे सैन्य सुरक्षा की हो या प्राकृतिक आपदाओं की। कोराना काल में मालदीव की मदद करना हो या पर्यटन में भारतीयों की भूमिका हो। यहां तक की शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीय मालदीव में अपनी भूमिकाएं निभा रहे हैं। कुल मिलाकर मालदीव कई क्षेत्रों में भारत की मदद और भारतीयों के योगदान पर फलफूल रहा है।
हालांकि पिछले कुछ दिनों से भारत और मालदीव के रिश्तों में तल्खी आई है। विवाद तब और ज्यादा गहरा गया जब पीएम नरेंद्र मोदी लक्षदीप पहुंचे। मालदीव के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी की जिसके बाद वहीं की सरकार ने अपने उन 3 मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया। ऐसे में अगर विवाद बढ़ता है और भारत मालदीव की मदद और अपने योगदान से हाथ पीछे खींच लेता है तो मालदीव को न सिर्फ आर्थिक तौर पर बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भी बड़ा झटका झेलना पड़ेगा। जानते हैं मालदीव किन किन क्षेत्रों और कितना भारत पर निर्भर है।
5 लाख है मालदीव की आबादी : मालदीव और भारत के बीच लगभग 2 हजार किलोमीटर की दूरी है। भारत ही है जो मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी है। इस द्वीप के दक्षिणी और उत्तरी भाग में दो महत्त्वपूर्ण 'सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन' स्थित हैं। जहां तक मालदीव की आबादी की बात करें तो हिंद महासागर में फैले इस देश की आबादी 5 लाख करीब है।
यहां 1 हजार से ज्यादा छोटे द्वीप यानि आईसलैंड हैं, जहां लोग छुट्टियां मनाने सबसे अधिक जाते हैं। इसका कुल क्षेत्रफल समुद्र सहित लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है। मालदीव भौगोलिक रूप से दुनिया के सबसे बिखरे हुए संप्रभु राज्यों में से एक है और सबसे छोटा एशियाई देश है। यहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है। जबकि मालदीव में भारतीयों की कुल संख्या करीब 27 हजार है।
भारत ने कब- कब की मालदीव की मदद : जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी भयावह महामारी से जूझ रही थी तो वो भारत ही था जिसने मालदीव की मदद की। उस वक्त भारत ने एक लाख से ज्यादा वैक्सीन की खुराक एयर इंडिया के विशेष विमान से मालदीव भेजी थी। जब सुनामी आई तो भारत मालदीव की मदद के लिए सबसे पहले पहुंचा। साल 1988 के सैन्य विद्रोह में भारत मालदीव के साथ खडा रहा। जल संकट और कोरोना महामारी के दौरान भी भारत ने सबसे पहले मालदीव की मदद की।
कोरोना से लेकर मीजल्स तक : कोराना के समय भारत ने मालदीव की जो मदद की वो भारत की उदारता का ताजा उदाहरण है। कोरोना में भारत ने एक बड़ी चिकित्सा राहत टीम मालदीव भेजी थी। कोरोना के मुफ्त टीकों की बड़ी खेप भी पहुंचाई। मीजल्स के प्रकोप को रोकने के लिए भारत ने जनवरी 2020 में टीके की 30,000 खुराकें तुरंत भेजी थी। इसके अलावा 2015 में ऑपरेशन नीर के जरिए मालदीव को जलसंकट से उबारा था।
स्वास्थ्य, शिक्षा और हॉस्पिटैलिटी : मालदीव के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में भारतीयों की मजबूत उपस्थिति है। यहां अधिकांश प्रवासी शिक्षक भारतीय हैं। साल 2022 में लगभग 1700 प्रवासी शिक्षकों में से 95 प्रतिशत भारतीय थे। इसी तरह, मालदीव में बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और फार्मासिस्ट भारतीय नागरिक हैं। मालदीव के लगभग 400 डॉक्टरों में से 125 से अधिक भारतीय हैं। भारतीय शिक्षकों और डॉक्टरों को वहां बहुत सम्मान मिलता है। कई भारतीय नागरिक यहां के अलग-अलग द्वीपों पर आईटी, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म सेक्टर से जुड़े हुए हैं।
मालदीव में भारतीय पर्यटन की भूमिका : आपको बता दें कि मालदीव खासतौर से एक टूरिज्म बेस्ड इकोनॉमी है। यानि मालदीव की सबसे ज्यादा कमाई, रेवेन्यू और अपने देश के विकास के लिए पर्यटन बडी भूमिका निभाता है। बता दें कि मालदीव को पर्यटन से मिलने वाला राजस्व की जीडीपी का लगभग चौथाई हिस्सा बनाता है। राजस्व के अलावा पर्यटन ही यहां सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराता है।
भारत की वजह से मालदीव में कितना व्यापक है मालदीव का पर्यटन बाजार
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2018 में मालदीव में पर्यटन के लिए जाने वालों की सूची में भारतीय 5वे स्थान पर थे।
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2019 में मालदीव में पर्यटन के मामले में भारतीय दूसरे स्थान पर आ गए।
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2020 से 2023 के बीच मालदीव टूरिज्म मार्केट में भारतीय पर्यटकों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रही है।
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2022 में 2.41 लाख से ज्यादा भारतीय मालदीव गए थे।
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2023 में भी 100,915 पर्यटकों के साथ भारत (13 जून 2023 तक) पहले स्थान पर रहा।
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मार्च 2022 में भारत और मालदीव के बीच कनेक्टिविटी के सुधार के लिए एक समझौता भी हुआ था।
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कोरोना में भी भारतीय पर्यटक ने मालदीव की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई थी।
मालदीव में भारतीयों की संख्या : बता दें कि भारत और मालदीव के बीच कई तरह के संबंध हैं। हालांकि मालदीव भारत से काफी छोटा है, लेकिन दोनों देश जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक लिहाज से एक दूसरे के साथ रिश्ते बनाते हैं। 1965 में आजादी के बाद भारत मालदीव को मान्यता देने और राजनयिक स्थापना करने वाले पहले देशों में से एक था। हाई कमीशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भारतीयों का है। मालदीव में भारतीयों की कुल संख्या करीब 27 हजार है।
भारत में मालदीव के स्टूडेंट : मालदीव के हजारों स्टूडेंट हर साल भारतीय विश्वविद्यालयों में हायर स्टडीज के लिए आते हैं। जबकि भारत के टीचर्स कई सालों से मालदीव के स्कूलों में बड़ी संख्या में है। भारत सरकार मालदीव के कई छात्रों को स्कॉलरशिप देती है।
10 करोड़ डॉलर की मदद : रक्षा, अस्पताल से लेकर रोड प्रोजेक्ट तक : 1988 से रक्षा और सुरक्षा भारत और मालदीव के बीच सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है। भारत सबसे अधिक संख्या में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करता है। यहीं नहीं, भारत ने मालदीव की आर्थिक सहायता में एक अहम सहयोगी रहा है। साल 2022 के आखिर में भारत ने मालदीव को आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 10 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता दी थी। भारत ने मालदीव के अस्पतालों के रेनोवेशन में करोड़ों निवेश किए हैं। दोनों देशों के बीच मालदीव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, कैंसर हॉस्पिटल और नेशनल कॉलेज फॉर पुलिस एंड लॉ एनफोर्समेंट (एनसीपीएलई) बनाने के लिए समझौता हुआ है।
विवाद से संकट में मालदीव : मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन समर्थक हैं। ऐसे में चीन के प्रभाव में मुइज्जू का रुख भारत के खिलाफ नजर आता है। जब पीएम मोदी लक्षदीप गए और वहां विकास कार्यों को बढावा देने के लिए कई तरह की घोषणाएं की तो इससे मालदीव तिलमिला गया। मालदीव के 3 मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर डाली, जिसके बाद भारत में बायकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा। इस विवाद के बाद कई भारतीय सेलिब्रेटी, कंपनियां और हस्तियां भारत के समर्थन में उतर आए। हजारों भारतीयों ने होटल बुकिंग कैंसल कर दी। कुछ एयरलाइंस ने मालदीव के लिए बुकिंग बंद कर दी। इससे मालदीव पर संकट गहराने लगा है।