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Ekadashi Rules : एकादशी व्रत करने से पूर्व जा‍न लीजिए ये 7 खास नियम

Ekadashi Vrat Rule 2020
जानिए एकादशी व्रत-उपवास के 7 खास नियम 
 
प्रतिमाह शुक्ल और कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन एकादशी तिथि मनाई जाती है। एकादशी व्रत-उपवास का महत्व तीनों लोक में प्रसिद्ध है। अगर आप किसी भी तरह के श्राप, पितृ दोष से ग्रसित है, तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह दिन बहुत खास है।

एकादशी व्रत करने के कुछ खास नियम हमारे पौराणिक शास्त्रों में दिए गए हैं। आइए जानें... 
 
एकादशी व्रत के खास नियम :- 
 
* शुक्ल या कृष्ण एकादशी के एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि को रात्रि में एकादशी व्रत करने का संकल्प करना चाहिए। 
 
* अगले दिन सुबह स्नानादि सभी क्रियाओं से निवृत्त होकर भगवान श्रीहरि विष्णु तथा लक्ष्मी नारायण जी के स्वरूप का ध्यान करते हुए शुद्ध घी का दीपक, नैवेद्य, धूप, पुष्‍प तथा फल आदि पूजन सामग्री लेकर पवित्र एवं सच्चे भाव से पूजा-अर्चना करना चाहिए। 
 
* इस दिन गरीब, असहाय अथवा भूखे व्यक्ति को अन्न का दान, भोजन कराना चाहिए तथा प्यास से व्याकुल व्यक्ति को जल पिलाना चाहिए। 
 
* रात्रि में विष्‍णु मंदिर में दीप दान करते हुए कीर्तन तथा जागरण करना चाहिए। 
 
* एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मण तथा गरीबों को दान देकर पारणा करना शास्त्र सम्मत माना गया है।
 
* ध्यान रहें कि इस व्रत में पूरा दिन अन्न का सेवन निषेध है तथा केवल फलाहार करने का ही विधान है। 
 
* दशमी से लेकर पारणा होने तक का समय सत्कर्म में बिताना चाहिए तथा ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए।
 
वर्तमान समय में यह व्रत कल्पतरु के समान है तथा इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी कष्‍टों दूर होते हैं तथा हर तरह के श्राप तथा समस्त पापों से मुक्ति दिलाकर यह व्रत पुण्यफल प्रदान करता है।