दशहरा और विजयादशमी में क्या है फर्क, जानिए
हमारे देश में आश्विन माह में दशहरा या विजयादशमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन होता है और लोग माता की मूर्ति या जावारे का विसर्जन करते हैं परंतु इस दिनों को दशहरा भी कहते हैं और विजयादशमी भी, आखिर क्या है इसमें फर्क जानिए।
प्राचीन काल से ही अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता रहा है। फिर जब प्रभु श्रीराम ने इसी दिन दशानन रावण का वध कर दिया तो इस दिन को दशहरा भी कहा जाने लगा।
1.असुर का वध : सबसे पहले माता दुर्गा ने इस दिन महिषासुर का वध किया था। रम्भासुर का पुत्र था महिषासुर, जो अत्यंत शक्तिशाली था। उसने कठिन तप किया था। ब्रह्माजी ने प्रकट होकर कहा- 'वत्स! एक मृत्यु को छोड़कर, सबकुछ मांगों। महिषासुर ने बहुत सोचा और फिर कहा- 'ठीक है प्रभो। देवता, असुर और मानव किसी से मेरी मृत्यु न हो। किसी स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु निश्चित करने की कृपा करें।' ब्रह्माजी 'एवमस्तु' कहकर अपने लोक चले गए। वर प्राप्त करने के बाद उसने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा कर त्रिलोकाधिपति बन गया। तब सभी देवताओं ने भगवती महाशक्ति की आराधना की। सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य तेज निकलकर एक परम सुन्दरी स्त्री के रूप में प्रकट हुआ। हिमवान ने भगवती की सवारी के लिए सिंह दिया तथा सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र महामाया की सेवा में प्रस्तुत किए। भगवती ने देवताओं पर प्रसन्न होकर उन्हें शीघ्र ही महिषासुर के भय से मुक्त करने का आश्वासन दिया। माता ने महिषासुर ने 9 दिन तक युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया इसलिए विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है। महिषासुर एक असुर अर्थात दैत्य था वह राक्षस नहीं था।
2.राक्षस का वध : कहते हैं कि प्रभु श्रीराम और रावण का युद्ध कई दिनों तक चला अंत में श्रीराम ने दशमी के दिन रावण का वध कर दिया था। रावण एक राक्षस था वह असुर नहीं था।
3. धर्म की जीत : यह भी कहा जाता है कि इसी दिन अर्जुन ने कौरव सेना के लाखों सैनिकों को मारकर कौरवों को पराजित कर दिया था। यह धर्म की अधर्म पर जीत थी।