• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. सेहत
  3. जान-जहान
  4. World Osteoporosis Day 2020
Written By

20 अक्टूबर : विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस, जानें क्यों होती हैं यह बीमारी

20 अक्टूबर : विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस, जानें क्यों होती हैं यह बीमारी - World Osteoporosis Day 2020
World Osteoporosis Day
 
प्रतिवर्ष 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (अंग्रेजी World Osteoporosis Day) मनाया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम, निदान एवं उपचार के प्रति वैश्विक जागरूकता पैदा करने के लिए यह दिन समर्पित है। लोगों को अपने स्वास्थ्य एवं अपनी हड्डियों को सुरक्षित करने के लिए सुरक्षित करने करने के लिए मनाया जाता है।
 
ऑस्टियोपोरोसिस है क्या- ऑस्टियोपोरोसिस शब्द ग्रीक एवं लैटिन भाषा है। 'ऑस्टियो' का मतलब हड्डी व 'पोरोसिस' का मतलब छिद्रों से भरा हुआ। हड्डी एक जीवित अंग है, जीवन भर पुरानी हड्डी गलती जाती है व नई बनती जाती है। जब कई कारणों से गलन की रफ्तार अधिक हो जाए तो ऑस्टियोपोरोसिस या अस्थिभंगुरता हो जाती है। इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व (लंबाई, मोटाई, चौड़ाई) कम हो जाता है। 
 
 
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो दबे पांव आती है और हमारे पूरे शरीर को खोखला कर देती है। बचपन में 20 साल की उम्र तक नई हड्डी बनने की रफ्तार ज्यादा होती है व पुरानी हड्डी गलने की कम होती है। फलस्वरूप हड्डियों का घनत्व ज्यादा होता है और वे मजबूत होती हैं। 30 साल की उम्र तक आते-आते हड्डियों का गलना (क्षीण होना) बढ़ने लगता है व नई हड्डी बनने की रफ्तार कम होने लगती है। यह बढ़ती उम्र की नियमित प्रक्रिया है। 
 
कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर और खोखली हो जाती हैं, जिससे शरीर आगे की ओर झुकता है व मामूली चोट से हड्डियों के फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में यह समस्या कई गुना अधिक होती है। इसकी समस्या तब ज्यादा बढ़ जाती हैं, जब उम्र 50 वर्ष से अधिक हो जाती है। इस उम्र के बाद कूल्हे एवं रीढ़ की हड्डी के फ्रेक्चर की आशंका 54 प्रतिशत बढ़ जाती है व 20 प्रतिशत मृत्यु दर बढ़ जाती है। 
 
इस बीमारी को लेकर आम लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। यह बीमारी वंशानुगत भी होती है। रजोनिवृत्ति होने के बाद हर तीसरी महिला इस बीमारी की शिकार हो सकती है। इस रोग के शिकार अधिकतर 50 वर्ष से अधिक के पुरुष व महिला होते हैं। साथ ही नशा करने वाले व्यक्तियों में कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता कम होने के कारण भी यह बीमारी जकड़ लेती है। 
 
वैसे यह बीमारी अत्यधिक दुबले, अधिक आरामपसंद तथा स्टेराइड एवं हार्मोन की दवाइयां लेने वाले लोगों को अधिक होती है। ऑस्टियोपोरोसिस एक  शांत प्रकृति की बीमारी है जिसके लक्षण सामान्यत: जल्दी से दिखाई नहीं देते हैं और मरीज की 'बोन मास' व 'बोन टिश्यू' यानी जो हड्डियों की ताकत होती है, उसका निरंतर ह्रास होता रहता है, जिससे कि हड्डियों के फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है।

इसके लिए कैल्शियमयुक्त आहार लेने को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऑस्टियोपोरोसिस के टेस्ट के लिए बोन मिनरल डेंसिटी यानी बीएमडी की जांच कराना चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का इलाज हो सकें।