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  4. third world war will happen due to these 5 reasons
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 21 जून 2025 (12:15 IST)

इन 5 कारणों से होगा तीसरा विश्व युद्ध, महामारी, जल संकट के साथ झेलना होगी प्राकृतिक आपदा

Third World War
वर्तमान में यूक्रेन-रूस और इजराइल-ईरान का युद्ध चल रहा है। दूसरी ओर उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया में तनाव है, चीन-ताइवान में तनातनी है, भारत-पाकिस्तान में संघर्ष है और इसके अलावा दुनिया में कई मोर्चों पर युद्ध या गृहयुद्ध जारी है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि मिडिल ईस्ट का संघर्ष कभी भी तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन युद्धों का मूल कारण क्या है?
 
1. धार्मिक संघर्ष: इस युद्ध का पहला और सबसे बड़ा कारण है संगठित धर्म के लिए युद्ध करना। जिहाद और क्रूसेड की मूल अवधारणा पर काम करना। इसके पीछे की सोच सांप्रदायिकता, जातिवाद, कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है। इसी कारण यहूदी और ईसाइयों का मुस्लिमों से संघर्ष पिछले सैकड़ों सालों से जारी है। इसी बीच शिया सुन्नी संघर्ष ने इस्लामिक जगत में दो केंद्र बना दिए है- सऊदी अरब और ईरान। यह लड़ाई गैर-मुस्लिम और गैर-ईसाइयों के लिए भी मुसीबत बनी हुई है। यानी इस युद्ध के मूल में धर्म है।
 
2. संसाधनों के लिए संघर्ष और ट्रेड वॉर: पानी, तेल, दुर्लभ खनिज जैसी चीजों पर नियंत्रण को लेकर देशों के बीच संघर्ष युद्ध का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा वित्तीय अस्थिरता- संसाधनों, व्यापार मार्गों और ऊर्जा आपूर्ति पर नियंत्रण को लेकर भी संघर्ष बढ़ा है। ट्रेड वॉर और प्रतिबंध– जैसे अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध, जो सैन्य संघर्ष में बदल सकता है।
 
3. दक्षिण और वामपंथ की लड़ाई: वामपंथी मानते हैं कि दक्षिणपंथी सोच के कारण दुनिया में असमानता, गरीबी और संघर्ष है। यह पूंजीवाद और साम्राज्यवाद को बढ़ावा दे रही है, जबकि दुनिया के वामपंथी देश खुद इसी राह पर चल रहे हैं। अमेरिका की चीन और उत्तर कोरिया से इसी बात को लेकर लड़ाई है। दोनों की सोच के टकराव के कारण भी यह युद्ध जारी है।
 
4. भू-राजनीतिक संघर्ष: हर कोई अब महाशक्ति बनना चाहता है। जैसे अमेरिका, चीन, रूस के बीच शक्ति संतुलन को लेकर प्रतिस्पर्धा है। यानि महाशक्तियों के बीच तनाव चरम पर है। इसी के साथ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सरकारें, दूसरे देश के अंदरूनी मामले में दखल देने और अस्थिर देश भी संघर्ष को जन्म दे रहे हैं।
 
5. सैन्य गठबंधन: ये गठबंधन अक्सर भू-राजनीतिक प्रभाव, साझा खतरे या वैचारिक समानताओं के आधार पर बनते हैं। एक ओर पश्चिमी देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर NATO का गठन किया है तो दूसरी ओर रूस ने CSTO बनाया है। सऊदी अरब और ईरान के गुटों ने अलग अलग इस्लामिक गठबंधन बना रखा है। अरब लीग संयुक्त सैन्य बल भी सक्रिय रूप से गैर मुस्लिमों के खिलाफ काम करता है। सैन्य प्रतिस्पर्धा, तकनीकी हथियारों की दौड़ और भू-राजनीतिक तनाव इस खतरे को गंभीर बना रहे हैं।
 
यदि तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो दुनिया में जल संकट के साथ खाद्यान्न संकट भी गहरा जाएगा। भयानक तबाही के चलते प्रकृति को जो नुकसान पहुंचेगा उसकी भरपाई करना मुश्किल होगा। यह युद्ध कई तरह की बीमारी और महामारियों को भी जन्म देगा। इसी के साथ प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाएगी। यानी परमाणु के ढेर पर बैठा मानव यदि यह युद्ध लड़ता है तो वह करीब 100 साल पीछे चला जाएगा और उसे फिर से उभरने में 50 साल का समय लगेगा। यह भी हो सकता है कि मानव अस्तित्व का संकट ही गहरा जाए।