तेलंगाना के मंत्री बोले, कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना पड़ेगा
हैदराबाद। तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग मंत्री के टी राम राव ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस का टीका या दवा नहीं आ जाती तब तक लोगों को इस संक्रामक रोग के साथ जीना सीखना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए नए औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण में राज्यों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि दुनियाभर में कई कंपनियां कोविड-19 के बाद जोखिम वाले क्षेत्रों से हटने के लिए नए भौगोलिक क्षेत्रों की तलाश कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दवा और टीके के निर्माण केंद्रों की बढ़ती महत्ता के चलते तेलंगाना सरकार ने यहां ‘फार्मा सिटी’ में बुनियादी ढांचे के लिए 4,000 करोड़ रुपए मांगे हैं ताकि इसे एक विश्व स्तरीय केंद्र बनाया जा सकें।
मंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि दो महत्वपूर्ण बातें समझनी होगी। पहली कि हमें यह मानना होगा कि जब तक किसी टीके या दवा की खोज, परीक्षण नहीं होता और उसका प्रयोग नहीं किया जाने लगता तब तक हमें इस विषाणु के साथ जीना सीखना होगा।
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बेटे केटीआर ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत की रणनीतियों की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है और इसने देश में आकर्षक निवेश की राह तैयार की है क्योंकि कई बड़े कॉरपोरेट्स अपना भौगोलिक दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत लॉकडाउन के कारण अन्य देशों के मुकाबले कोरोना वायरस से निपटने में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और केंद्र तथा राज्यों दोनों के समन्वित प्रयासों से इस बीमारी का प्रकोप कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत के पास चीन से विनिर्माण क्षेत्र का बड़ा हिस्सा लेने का अच्छा मौका है। साथ ही भारत की कोरोना वायरस से निपटने के तरीके को लेकर भी प्रशंसा हो रही है। ये सभी चीजें हमें अच्छी स्थिति में रखेंगी।
केटीआर ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर केंद्र से औद्योगिक क्षेत्र में और अधिक निवेश करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में वैश्विक महामारी से ठीक होने वाले लोगों की दर संक्रमित लोगों की दर से कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद कारोबार पहले की तरह नहीं होंगे और कामकाज की नयी शैली अपनाई जाएगी।
मंत्री ने कहा, ‘सरकार या निजी क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को काम करने के लिए उनके बीच विश्वास पैदा करना है। उन्हें कार्य स्थल पर सुरक्षित महसूस कराने की आवश्यकता है। हमें उन्हें यह भरोसा देना होगा।‘ (भाषा)