शिवसेना ने सेंट्रल विस्टा परियोजना पर भाजपा पर साधा निशाना, कहा- भारत विदेशों से मदद लेने को हुआ मजबूर
मुंबई। शिवसेना ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने में जहां पड़ोस के छोटे देश भारत को मदद की पेशकश कर रहे हैं, वहीं मोदी सरकार कई करोड़ के सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम को रोकने के लिए भी तैयार नहीं है। पार्टी ने यह भी कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह समेत पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा पिछले 70 वर्ष में बनाई गई व्यवस्था ने देश को कठिन समय से पार पाने में मदद की है जिसका सामना वह आज कर रहा है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में कहा कि यूनिसेफ ने डर व्यक्त किया है कि भारत में जिस गति से कोरोनावायरस फैल रहा है, उससे दुनिया को वायरस से खतरा है। इसने यह भी अपील की है कि अधिकतम देशों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करनी चाहिए। बांग्लादेश ने रेमडेसिविर की 10,000 शीशियां भेजी हैं जबकि भूटान ने चिकित्सीय ऑक्सीजन। नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका ने भी 'आत्मनिर्भर' भारत की मदद की पेशकश की है।
इसमें कहा गया कि साफतौर पर भारत नेहरू-गांधी द्वारा बनाई गई व्यवस्था के सहारे है। कई गरीब देश भारत को मदद की पेशकश कर रहे हैं। इससे पहले पाकिस्तान, रवांडा और कॉन्गो जैसे देश दूसरों से मदद लेते थे। लेकिन आज के शासकों की गलत नीतियों के चलते भारत आज इस स्थिति से गुजर रहा है।
शिवसेना ने कहा कि जहां गरीब देश अपने-अपने तरीके से भारत की मदद कर रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20,000 करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि किसी को भी इस बात का अफसोस नहीं है कि एक तरफ भारत बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे देशों से मदद ले रहा है वहीं दूसरी तरफ मोदी नए संसद भवन और प्रधानमंत्री आवास के निर्माण के लिए कई करोड़ की सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम रोकने को तैयार नहीं हैं।
शिवसेना ने कहा कि दुनिया कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर से जूझ रही है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि तीसरी लहर और खतरनाक होगी। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा को आज भी बस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को कैसे भी घेरने की पड़ी है। इसने कहा कि भाजपा सांसद सुब्रमण्यिन स्वामी ने स्वास्थ्य मंत्रालय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को देने की मांग की है और यह इस बात का सबूत है कि मौजूदा स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी तरह विफल रहा है। (भाषा)