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Last Modified: मंगलवार, 20 जुलाई 2021 (22:54 IST)

COVID-19 : भारत के पास होगी दुनिया की पहली DNA वैक्सीन जायकोव-डी, तीसरे फेज का ट्रायल जारी

COVID-19 : भारत के पास होगी दुनिया की पहली DNA वैक्सीन जायकोव-डी, तीसरे फेज का ट्रायल जारी - India may become first country to develop DNA-based vaccine, says health Minister Mandaviya
नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को कहा कि कई भारतीय कंपनियां अपने कोविड-19 रोधी टीकों का उत्पादन बढ़ा रही हैं और भारत दुनिया में पहला ऐसा देश भी बन सकता है जिसके पास इस महामारी से बचाव के लिए डीएनए आधारित टीका होगा।
मंडाविया ने ‘देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीति और चुनौतियां’ विषय पर उच्च सदन में हुई अल्पकालिक चर्चा के जवाब में बताया कि कैडिला हेल्थकेयर लि. के डीएनए आधारित टीके का, तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।
 
उन्होंने कहा कि इसने आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी हासिल करने के वास्ते भारत के औषधि महानियंत्रक के समक्ष अंतरिम आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा कि अपेक्षित मानक पूरे होने पर जब यह टीका बाजार मे आ जाएगा तब यह देश का, पहला डीएनए आधारित टीका होगा और तब भारत भी ऐसा पहला देश होगा जिसके पास कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए डीएनए आधारित टीका होगा।’’
 
उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियों को कोविड-19 रोधी टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया जा रहा है। इसके अलावा नाक से दिए जाने वाले टीके का भी परीक्षण चल रहा है। उन्होंने कहा ‘‘मुझे देश के वैज्ञानिकों और कंपनियों पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला ने बच्चों पर टीकों का परीक्षण शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि इसमें सफलता मिलेगी और बच्चों के लिए भी टीका उपलब्ध हो जाएगा।
जायडस कैडिला ने 1 जुलाई को कहा था कि उसने अपनी कोविड-19 वैक्सीन जायकोव-डी के आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मांगी है। कंपनी ने कहा था कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल परीक्षण किया है।
 
जाइडस कैडिला के डीएनए-प्लाज्मिड आधारित ‘जायकोव-डी’ टीके की तीन खुराकें होंगी। इसे 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है और कोल्ड चेन की जरूरत नहीं होगी। इससे देश के किसी भी हिस्से में इसकी खेप आसानी से पहुंचाई जा सकेगा। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के तहत नेशनल बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) द्वारा टीके को सहयोग मिला है। (एजेंसियां)
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