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Last Modified: गुरुवार, 28 मई 2020 (17:08 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने Lockdown में फंसे श्रमिकों पर पूछे सरकार से तीखे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने Lockdown में फंसे श्रमिकों पर पूछे सरकार से तीखे सवाल - Hearing on migrant workers crisis is on in Supreme Court
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान पलायन कर रहे श्रमिकों की दयनीय स्थिति पर गुरुवार को केन्द्र सरकार से अनेक तीखे सवाल पूछे, जिनमें इनके अपने पैतृक घर पहुंचने में लगने वाला समय, इनकी यात्रा खर्च के भुगतान और इनके खाने-पीने तथा ठहरने से जुड़े सवाल भी शामिल थे।
 
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इन कामगारों की वेदनाओं का स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से विभिन्न जगहों पर फंसे हुए इन श्रमिकों की यात्रा के किराए के भुगतान को लेकर व्याप्त भ्रम के बारे में जानकारी चाही। पीठ ने कहा कि इन श्रमिकों को अपनी घर वापसी की यात्रा के लिए किराए का भुगतान करने के लिए नहीं कहना चाहिए। 
 
पीठ ने मेहता से सवाल किया कि सामान्य समय क्या है? यदि एक प्रवासी की पहचान होती है तो यह तो निश्चित होना चाहिए कि उसे एक सप्ताह के भीतर या 10 दिन के अंदर पहुंचा दिया जाएगा। वह समय क्या है? ऐसे भी उदाहरण हैं जब एक राज्य प्रवासियों को भेजते हैं, लेकिन दूसरे राज्य की सीमा पर उनसे कहा जाता है कि हम प्रवासियों को नहीं लेंगे, हमें इस बारे में एक नीति की आवश्यकता है।
पीठ ने इन कामगारों की यात्रा के भाड़े के बारे में सवाल किए और कहा कि हमारे देश में बिचौलिया हमेशा ही रहता है। लेकिन हम नहीं चाहते कि जब भाड़े के भुगतान का सवाल हो तो इसमें बिचौलिया हो। इस बारे में एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए कि उनकी यात्रा का खर्च कौन वहन करेगा।
 
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसीटर जनरल ने केन्द्र की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की और कहा कि एक से 27 मई के दौरान इन कामगारों को ले जाने के लिए कुल 3,700 विशेष ट्रेन चलाई गईं और सीमावर्ती राज्यों में अनेक कामगारों को सड़क मार्ग से पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि बुधवार तक करीब 91 लाख प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक घरों तक पहुंचाया गया है।
 
कोविड-19 महामारी की वजह से चार घंटे के नोटिस पर 25 मार्च से देश में लागू लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में लाखों भूखे-प्यासे श्रमिक विभिन्न जगहों पर फंस गए। उनके पास ठहरने की भी सुविधा नहीं थी। इन श्रमिकों ने आवागमन का कोई साधन उपलब्ध नहीं होने की वजह से पैदल ही अपने अपने घर की ओर कूच कर दिया था।
 
शीर्ष अदालत ने 26 मई को इन कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया था अैर उसने केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा था। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि केन्द्र और राज्यों ने राहत के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन वे अपर्याप्त हैं और इनमें कमियां हैं।

साथ ही उसने केन्द्र और राज्यों से कहा था कि वे श्रमिकों को तत्काल नि:शुल्क भोजन, ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराएं तथा उनके अपने-अपने घर जाने के लिए परिवहन सुविधा की व्यवस्था करें। (भाषा)
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