कोरोना के साए में नया साल, नाइट कर्फ्यू और पाबंदियों के बीच कैसे होगा 2022 का स्वागत...
नई दिल्ली। कोरोना वायरस और ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के साथ ही देश में नए साल में एक बार फिर महामारी की दहशत दिखाई दे रही है। सरकार ने नए साल का स्वागत भी घर में करने की अपील की है। लोगों को मास्क पहनने के साथ ही भीड़ से बचने की सलाह भी दी गई है। कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू के साथ ही कई अन्य पाबंदियां भी लगाई गई है।
दिल्ली में कोरोना का ग्रहण : दिल्ली में हाल के दिनों में कोविड-19 के मामलों में हो रही वृद्धि को देखते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा नए साल की पूर्व संध्या पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की ओर से जारी कोविड-उपयुक्त व्यवहार संबंधी दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू कराया जाए। पुलिस के मुताबिक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुंबई में सुरक्षा सख्त : मुंबई में नववर्ष की पूर्व संध्या पर खालिस्तानी तत्वों द्वारा संभावित आतंकी हमले के खुफिया अलर्ट के बीच शहर की पुलिस ने रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। साथ ही पूरी क्षमता उपलब्ध रहने के मद्दनेजर पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक अवकाश और छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के मद्देनजर पुलिस 31 दिसंबर को शहरभर में कड़ी सर्तकता बरतेगी। गेटवे ऑफ इंडिया और मरीन ड्राइव जैसे प्रमुख स्थानों पर लोगों की भीड़ जुटने को ध्यान में रखते हुए शहर में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाएगा।
यूपी में दिखेगी सख्ती : उत्तरप्रदेश में रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू रहेगा। सरकार द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन के अनुसार, अब किसी भी इवेंट में एक जगह 200 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे। इसका सीधा असर नए साल के सेलिब्रेशन पर पड़ेगा।
कोलकाता में मंदिर बंद : कोलकाता का विश्व प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर, रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय बेलूर मठ, शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर के अलावा थंथानिया मंदिर एक जनवरी को श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे। पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि के मद्देनजर मंदिरों के प्रशासन ने यह फैसला किया है।
दक्षिणेश्वर मंदिर के ट्रस्टी कुशल चौधरी ने कहा कि मंदिर के अधिकारियों को यह फैसला करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि एक जनवरी के दिन लाखों की तादाद में श्रद्धालु मंदिर में आते हैं और इस दौरान कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करवाना काफी कठिन होगा।