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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated : शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021 (07:33 IST)

Year Ender 2021: Corona से दहली दुनिया, धराशायी हुए कई सत्ताधीश

Year Ender 2021: Corona से दहली दुनिया, धराशायी हुए कई सत्ताधीश - Year Ender 2021: world shocked by Corona, many rulers collapsed
पानी में तैरती लाशें... श्मशानों में कतारबद्ध चिताओं से उठती लपटें... अस्पतालों में अपनों का इंतजार करतीं लाशें...वर्ष 2021 (Year Ender 2021) में कोरोनावायरस (Coronavirus) काल इस तरह के और भी दृश्य थे, जिन्होंने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। इस तरह के दृश्य शायद ही कभी लोगों की आंखों से ओझल हो पाएं।
 
अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद अपनी ही सरकार से डरे लोगों के बीच पलायन की होड़, डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी सत्ता से विदाई और जो बाइडेन का उदय, जर्मनी में एंजेला मर्केल युग समाप्ति, इसराइल में सत्ता परिवर्तन, म्यांमार की सत्ता पर सेना का कब्जा, भारत में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत की शहादत समेत कई ऐसी घटनाएं हुईं जो 'वर्ष 2021 की डायरी' में स्थायी रूप से दर्ज हो गईं।
कोरोना ने दुनिया को दहलाया : इस वर्ष कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने पूरे यूरोप में कहर मचाया, वहीं साल के अंतिम माह में ओमिक्रोन वैरिएंट की आमद ने दुनिया को दहशत में डाल दिया। वर्ष के आखिर में संक्रमितों की संख्‍या बढ़कर 28 करोड़ 50 लाख से ज्यादा हो गई। वहीं, मरने वालों का आंकड़ा 54 लाख 40 हजार से ऊपर पहुंच गया। राहत की बात यह रही कि 25 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण से मुक्त भी हुए। 
 
अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियां भी कोरोनावायरस के आगे असहाय ही नजर आईं। अमेरिका कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 8 लाख 44 हजार के करीब पहुंच गया, वहीं रूस में 3 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना ने लील लिया। दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाले देश भारत में भी करीब 4 लाख 80 हजार लोगों ने कोरोना संक्रमण के चलते अपनी जान गंवाई, वहीं ब्राजील में 6 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। ब्रिटेन में भी 1 लाख 48 हजार के करीब लोग कोरोना का ग्रास बन गए। 
अफगानिस्तान और म्यांमार में तख्तापलट : 15 अगस्त 2021 को जब भारत अपनी आजादी का जश्न मना रहा था, उसी दिन अफगानिस्तान पर क्रूर तालिबान का कब्जा हो गया। संभवत: इतिहास में पहली बार ऐसा देखने में आया जब लोग अपनी ही सरकार के खौफ से देश छोड़ने की जद्दोजहद में जुट गए। इसी भागमभाग में कई लोग देश तो नहीं छोड़ पाए, लेकिन उनके जिस्म से जान जरूर निकल गई। विमान के टायरों से लिपटे शव या फिर आसमान से गिरती जिंदगियों ने पूरी मानवता का सिर शर्म से झुका दिया।
इसी दौरान काबुल हवाई अड्‍डे पर हुए विस्फोट में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इनमें दर्जनभर अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे। बाद के दिनों में मस्जिदों में हुए धमाकों में भी कई अफगानियों की मौत हो गई। तालिबान के खिलाफ 20 साल चले युद्ध में अमेरिका के करीब 10 लाख डॉलर खर्च हुए और उसे अपने करीब 3,500 सैनिकों को खोना पड़ा था। 
 
दुनिया ने तख्तापलट का एक और नजारा म्यांमार में देखा, जब वहां की सेना ने फरवरी माह में चुनी हुई सरकार को अराजनीतिक तरीके से बेदखल कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। सेना ने लोकतंत्र समर्थन आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया। साल 2011 में ही यहां पांच दशकों से चले आ रहे दमनकारी सैन्य शासन का अंत हुआ था। 
 
धराशायी हुए सत्ताधीश : 2021 में कई ऐसे राजनेता भी रहे, जिन्हें अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। इनमें प्रमुख रूप से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की विदाई हुई, वहीं डेमोक्रेट जो बाइडेन यूएस के 46वें राष्ट्रपति बने। ट्रंप के खिलाफ 2 बार महाभियोग भी लाया गया। ट्रंप की हार के बाद उनके समर्थकों ने यूएस कैपिटोल पर हिंसक प्रदर्शन किया। इस दौरान 4 लोगों की मौत हुई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। 
इस सत्ता परिवर्तन की सबसे अहम बात यह रही है कि भारतवंशी कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनीं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की 16 साल पुरानी सत्ता का अंत भी इसी साल ही हुआ। वे 2005 में पहली बार जर्मनी की चांसलर बनी थीं।

इसराइल में बेंजामिन नेतन्याहू को भी इसी साल अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। उनके स्थान पर नैफ्थाली बैनेट इसराइल के नए प्रधानमंत्री बने। राजनीतिक तौर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताकत बढ़ी। शी को संविधान में चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया। दरअसल, 2012 में चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही जिनपिंग की चीन की सत्ता पर पकड़ मजबूत होती गई। 
 
दिग्गजों ने कहा दुनिया को अलविदा : इस साल कई दिग्गजों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। रंगभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले नोबेले पुरस्कार विजेता अफ्रीकी अश्वेत बिशप डेसमंड टूटू का 26 दिसंबर को निधन हो गया। उन्हें गांधी परिवार का अनमोल सदस्य माना जाता था। इसी तरह महारानी एलिजाबेथ के पति और ड्‍यूक ऑफ एडिनबर्ग का 99 वर्ष की आयु में 9 अप्रैल को निधन हो गया। भारत को भी वर्ष के आखिर में उस समय तगड़ा झटका लगा जब सीडीएस जनरल बिपिन रावत का 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया। 
इसके अलावा बारबाडोस 400 साल बाद बना दुनिया का सबसे नया गणतंत्र बना। वहीं अफ्रीका महाद्वीप में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश इथोपिया को गृहयुद्ध का सामना करना पड़ा। इस दौरान प्रधानमंत्री अबी अहमद को विद्रोहियों के खिलाफ मोर्चा संभालना पड़ा। 2020 में दुनियाभर में कोरोनावायरस की मार झेल चुके विश्व के लिए, ये साल थोड़ी राहत भी लेकर आया जब इस बीमारी की वैक्सीन सामने आई।
 
भारत भी बना कई घटनाओं का साक्षी : 2021 में भारत में कई बड़ी घटनाएं घटित हुईं। 26 जनवरी को किसान आंदोलन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारी किसान गणतंत्र दिवस परेड के बाद लालकिले पर चढ़ गए और उन्होंने वहां धार्मिक झंडा फहरा दिया। हालांकि साल का अंत होते-होते कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही यह आंदोलन समाप्त भी हो गया। लखीमपुर कांड ने भी पूरे देश को हिलाकर रख दिया। राजनीतिक उठापटक के बीच पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पद छोड़ना पड़ा। दलित चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने अमरिंदर के स्थान पर मुख्‍यमंत्री बनाया। 
 
इसके साथ ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंकने के बाद भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। हालांकि भाजपा का प्रदर्शन जरूर अच्छा रहा। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल पाई। असम में भाजपा ने सत्ता में वापसी की, वहीं तमिलनाडु में एआईएडीएमके के सत्ता से बाहर हो गई। 
 
वहीं, 8 दिसंबर को कुन्नूर की पहाड़ियों में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल ‍बिपिन रावत समेत 13 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। इस हादसे में जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत का भी निधन हो गया। फरवरी माह में उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से कई लोगों की मौत हो गई। अप्रैल माह में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा के जंगलों में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। जून माह में पहली बार जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने ड्रोन से हमलाकर सुरक्षाबलों की नींद उड़ा दी। 
 
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