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क्रिसमस : प्रेम का संदेश देता त्योहार

क्रिसमस : प्रेम का संदेश देता त्योहार -
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अन्य समाजों की तुलना में ईसाई लोग बहुत कम त्योहारों को मनाते हैं। ईसाइयों के दो ही मुख्य त्योहार हैं। पहला क्रिसमस जो कि यीशु के जन्म को मनाने का त्योहार है और दूसरा ईस्टर जो यीशु मसीह के पुनरुत्थान की याद में मनाए जाने वाला त्योहार है। क्रिसमस प्रेम का संदेश देने वाला त्योहार है। संत यूहन्ना लिखते हैं, 'परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उसमें विश्वास करे, नाश न हो, परंतु अनंत जीवन पाए।

क्रिसमस एक अनोखा पर्व है जो ईश्वर के प्रेम, आनंद एवं उद्धार का संदेश देता है। यह पर्व करीब 2000 वर्ष पूर्व यीशु ख्रीस्त के मनुष्य के रूप में जन्म लेने की याद में मनाया जाता है। जनांकिकी वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व के 600 करोड़ लोगों में से करीब एक-तिहाई ईसाई लोग हैं। इनमें से करीब 60 प्रतिशत रोमन कैथोलिक हैं तथा बचे हुए 40 प्रतिशत कई प्रोटेस्टेंट समुदाय के हैं।

भारत में ईसाइयों का प्रतिशत केवल 2.3 है अर्थात ईसाइयों की कुल संख्या 3 करोड़ से भी कम है। ईसाई समुदाय भारत के कुछ प्रांतों में पहली शताब्दी से ही अस्तित्व में रहे हैं। ईसा के बारह चेलों में से एक जिनका नाम संत थॉमस था, जो भारत के दक्षिण भाग में आए और भारत में ही उनकी हत्या हुई। थॉमस ने दक्षिण भारत में कई कलीसियों की स्थापना की। संत थॉमस की कब्र चेन्नई के पास मइलापुर शहर में स्थित है और आज भी अनेक तीर्थ यात्री उसके दर्शन के लिए विश्व के कई स्थानों से वहाँ पहुँचते हैं।

अन्य समाजों की तुलना में ईसाई लोग बहुत कम त्योहारों को मनाते हैं। ईसाइयों के दो ही मुख्य त्योहार हैं। पहला क्रिसमस जो कि यीशु के जन्म को मनाने का त्योहार है और दूसरा ईस्टर जो यीशु मसीह के पुनरुत्थान की याद में मनाए जाने वाला त्योहार है। क्रिसमस प्रेम का संदेश देने वाला त्योहार है। संत यूहन्ना लिखते हैं, 'परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उसमें विश्वास करे, नाश न हो, परंतु अनंत जीवन पाए। (यूहन्ना 3:16) यीशु मसीह के मानव अवतार एवं जीवन ईश्वर के महान प्रेम को दर्शाता है।

मानव जाति के पापों के प्रायश्चित के लिए यीशु मसीह ने अपने जीवन को बलिदान के रूप में क्रूस पर दिया। यह ईश्वर का असीम प्रेम का प्रदर्शन है। पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है परमेश्वर प्रेम है। परमेश्वर के प्रेम में कोई भेदभाव नहीं है अर्थात परमेश्वर का प्रेम विश्व के सभी जाति, जनजाति, प्रजाति, राष्ट्र एवं समुदाय के स्त्री-पुरुषों के लिए है।

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ईसा मसीह ने क्रूस पर अपनी जान देकर ईश्वर का अपार प्रेम प्रकट किया। इस प्रेम से प्रभावित होकर लाखों लोग अपना सब कुछ त्यागकर ईसा के शिष्य बने और उनके सुसमाचार के प्रचार के लिए अपने प्राण तक बलिदान किए। इस प्रेम का वर्णन करते हुए संत पोलूस लिखते हैं, 'प्रेम धीरजवंत है और कृपालु है, प्रेम डाह नहीं करता, प्रेम अपनी बढ़ाई नहीं करता और फूलता नहीं।'

वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। वह सब बातें सह लेता है, सब बातों का प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है। प्रेम कभी ढलता नहीं। (१ करिन्यियों अध्याय :१३) सभी धर्म को इसी प्रकार के प्रेम में विश्वास रखना चाहिए और उसे अपने कार्यों में प्रकट करना चाहिए। अगर सभी इस प्रकार की प्रेम भावना रखते तो सभी पूर्वग्रह, संघर्ष एवं आतंक विश्व से समाप्त हो जाएगा। धर्म अगर पारस्परिक प्रेम को बढ़ावा नहीं देता तो वह धर्म है ही नहीं।

क्रिसमस मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के द्वारा की गई पहल को दर्शाने वाला त्योहार भी है। संत पौलूस जोर देकर कहते हैं, 'यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिए जगत में आया।' (तीमुथियुस 1:15) यह एक गूढ़ तथ्य है कि मसीह के क्रूस पर मरने से मानव जाति का उद्धार किस प्रकार से हो सकता है?

बाइबल स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि लहू बहाए बिना कोई उद्धार नहीं। हम जब पापी थे, मसीह ने अपनी जान देकर हमारा उद्धार किया है। उद्धार परमेश्वर का मुफ्त दान है और मनुष्य अपने अच्छे कर्मों द्वारा इसे प्राप्त नहीं कर सकता। सभी ने पाप कर परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध कार्य किया है।

ईसा मसीह हमें बहुदायक धार्मिक जीवन देने आए हैं। कई लोगों में यह धारणा है कि सचमुच धार्मिक बनने के लिए सांसारिक जीवन को त्यागना एवं संन्यास लेना आवश्यक है। परमेश्वर के आशीषों को पाने के लिए दुनिया छोड़ना जरूरी नहीं है। इस संसार में अन्य लोगों के बीच रहते हुए तथा अपने सांसारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी परमेश्वर के निकट उनके बताए हुए मार्ग पर चल सकते हैं। बाइबल में ईसा मसीह को "अच्छा गडरिया" नाम से संबोधित किया गया है। एक अच्छा गडरिया भेड़ों की सभी आवश्यकताओं पर ध्यान रखता है और उसकी देखभाल में लगा रहता है।

क्रिसमस का सही अर्थ एवं संदेश समझने के लिए ईश्वर हममें से प्रत्येक को प्रेरणा दें। क्रिसमस के इस पावन पर्व में ईश्वर का अनुग्रह हममें से प्रत्येक के साथ बना रहे।