रविवार, 27 अप्रैल 2025
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Written By WD

कमांडो – ए वन मैन आर्मी : ‍फिल्म समीक्षा

कमांडो – ए वन मैन आर्मी फिल्म समीक्षा
बैनर : रिलायंस एंटरटेनमेंट, सनशाइन पिक्चर्स प्रा.लि.
निर्माता : विपुल शाह
निर्देशक : दिलीप घोष
संगीत : मनन शाह
कलाकार : विद्युत जामवाल, पूजा चोपड़ा, जयदीप अहलाव

इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्म कमांडो से बॉलीवुड में नए एक्शन हीरो विद्युत जामवाल का उदय हुआ है। कमांडो - ए वन मैन आर्मी में विद्युत कमांडो है, जो एक्शन करता है, जालिमों के जुल्म से लोगों को बचाता है और प्यार भी करता है। विपुल शाह के प्रोडक्शन में बनी कमांडो में निर्देशक से लेकर सभी एक्टर की यह पहली फिल्म है। कमांडो की कहानी साधारण है, लेकिन फिल्म का एक्शन और म्यूजि़क थिएटर से निकलने के बाद भी याद रहता है।

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करनवीर डोगरा इंडियन आर्मी का कमांडो है और दुर्घटनावश वह चीन की सीमा में घुस जाता है। वह पकड़ा जाता है। चीनियों को वह विश्वास नहीं दिला पाता कि उसकी नीयत में कोई खोट नहीं है और यह सब अनजाने में हुआ है। चीनी सोचते हैं कि करनवीर को यदि वे भारतीय जासूस के रूप में पेश करें तो भारतीय सरकार को नीचा दिखाया जा सकता है। दूसरी ओर भारतीय सरकार समझ जाती है कि करन की बात नहीं सुनी जाएगी लिहाजा वह करन का आर्मी रिकॉर्ड मिटा देती है और उसके वजूद से ही इंकार करती है।

करन किसी तरह चीनियों को चकमा देने में सफल रहता है और लेपचा बॉर्डर से हिमाचल प्रदेश में घुसता है। किन्नौर होते हुए वह पठानकोट जाना चाहता है जहां उसका बेस है। हिमाचल-पंजाब बॉर्डर क्रॉस करते ही उसकी मुलाकात सिमरित से होती है। सिमरित, अमृत कंवल सिंह के गुंडों से बचकर भाग रही है।

अमृत कंवल सिंह अपने राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी तरह सिमरित से शादी करना चाहता है। अमृत के गुंडे सिमरित का पीछा करते हुए वहां आ पहुंचते हैं। करन उन्हें चेतावनी देता है, लेकिन वे नहीं मानते। बदले में करन के हाथों उन्हें जमकर मार खाना पड़ती है। सिमरित का कहना है कि करन ने उसके लिए और मुश्किलें खड़ी कर दी हैं और जब तक वह अपने आपको सुरक्षित महसूस नहीं करेगी तब तक करन को उसके साथ रहना होगा।

सिमरित का पीछा करते हुए अमृत कंवल आ धमकता है और अंधेरिया ब्रिज पर सिमरित को करन के साथ देखता है। कोई चारा न देख सिमरित और करन पुल से नदी में छलांग लगा देते हैं। बहते हुऐ वे जंगल जा पहुंचते हैं। सिमरित की कहानी करन सुनता है और उसकी मदद करने का आश्वासन देता है। जंगल से वे तभी बाहर निकलने की सोचते हैं जब तक कि अमृत का गुस्सा ठंडा न पड़ जाए। दूसरी ओर अमृत उनका पीछा करना जारी रखता है। अब चूहे-बिल्ली का खेल अमृत और उसके आदमी तथा सिमरित-करन के बीच शुरू हो जाता है।

दिलीप घोष ने साधारण कहानी का निर्देशन भी साधारण तरीके से ही किया है, लेकिन एक्शन दृश्यों में ताज़गी है और विद्युत को एक साथ कई लोगों के साथ फाइट करते देखना अच्छा लगता है। विद्युत गुडलुकिंग एक्शन हीरो हैं। हालांकि रोमांटिक सीन में वे असहज नजर आते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें थोड़ा बहुत बर्दाश्त किया जा सकता है।

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विद्युत के स्टंट तो ठीक है, लेकिन उन्हें एक्टिंग की क्लास लेना होंगी। पूजा चोपड़ा बहुत ज्यादा बोलकर बोर करती हैं, उनका अभिनय भी कमजोर है। जयदीप अहलावत अपने जोक्स से थोड़ा गुदगुदाते हैं।

फिल्म का संगीत उसका प्लस प्वाइंट है। सावन बैरी बेहतरीन है और इसके लिए संगीतकार मनन शाह को बधाई देनी चाहिए। कुल मिलाकर कमांडो - ए वन मैन आर्मी औसत से नीचे फिल्म है, जिसे सिर्फ अच्छे संगीत और फाइट सीन के लिए देखना अच्छा सौदा नहीं होगा।

रेटिंग : 1/5
1-बेकार, 2-औसत, 2.5-टाइमपास, 3-अच्छी, 4-बहुत अच्छी, 5-अद्भुत