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Last Updated : सोमवार, 27 अप्रैल 2020 (16:14 IST)

लॉकडाउन की सफाई में सत्यजीत रे के बेटे को मिलीं 100 अनदेखी तस्वीरें और 1,000 से ज्यादा निगेटिव्स

लॉकडाउन की सफाई में सत्यजीत रे के बेटे को मिलीं 100 अनदेखी तस्वीरें और 1,000 से ज्यादा निगेटिव्स - Rare Satyajit Ray memorabilia unboxed during his sons lockdown clean-up
सत्यजीत रे का जन्मदिन 2 मई को है। सत्यजीत रे की गिनती उन सितारों में होती है जिन्होंने दुनिया भर में भारतीय सिनेमा को पहचान दिलाई। सत्यजीत रे को दुनिया को अलविदा कहे 28 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी सिनेमा पर उनकी छाप साफ नजर आती है। हाल ही में उनके बेटे संदीप रे को अपने पिता के यादगार लम्हों का एक छिपा हुआ खजाना मिला है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनो वायरस लॉकडाउन के बीच अपने घर की सफाई करते हुए संदीप को अपने पिता द्वारा क्लिक की गई कुल 100 अनदेखी तस्वीरों के अलावा 1,000 के ज्यादा अनदेखी निगेटिव्स मिले जो कि उनकी शुरुआती फिल्मों की हैं। साथ ही, उन्हें फ्रैंक कैप्रा, आर्थर सी क्लार्क, अकीरा कुरोसावा और रिचर्ड एटनबोरो जैसे महान कलाकारों के कुछ खत और टेलीग्राम भी मिले।

लॉकडाउन के दौरान इस यादगार संग्रह को खोजने के बारे में बात करते हुए संदीप ने कहा, “हम कभी-कभी टांड को थोड़ा साफ कर देते थे, लेकिन हमें कभी भी इस तरह से सफाई करने का समय नहीं मिला, कि देख पाएं क्या वहां कुछ जरूरी सामान तो नहीं है।”

नेगेटिव्स के बारे में संदीप कहते हैं, “मुझे याद नहीं कि कभी मैंने इन्हें प्रिंट होते हुए देखा हो। इनमें कई तो पाथेर पांचाली के वर्किंग स्टिल्स हैं।

इस खजाने में कई ऐसी तस्वीरें भी हैं जो सत्यजीत रे ने खुद खींची थीं। संदीप कहते हैं, “ये तस्वीरों बाबा को एक फोटो जर्नलिस्ट के रूप में दिखा रहे हैं। कुछ तस्वीरों में रंग फीका पड़ गया है। मुझे यकीन है कि आज की टेक्नोलॉजी की मदद से हम उन्हें फिर से रिस्टोर कर पाएंगे। जो तस्वीरें हमें अभी मिले हैं उन्हें किसी ने नहीं देखा है। मुझे लगता है कि जो भी हमें मिला है उससे हम बाबा की फोटोग्राफी की कम से कम तीन प्रदर्शनी लगा सकते हैं। इसके अलावा, हमें कुछ तस्वीरें भी मिलीं हैं, जिन्हें मैंने सेट पर क्लिक किए थे।”
 

खतों के बारे में संदीप कहते हैं, “आर्थर सी क्लार्क ने बाबा को उन कहानियों के बारे में लिखा था जो वह लिख रहे थे। मैंने इनमें से कुछ खतों को पढ़ा है। इनमें से अधिकतर बातचीत सिनेमा के बारे में था। बाबा की मुलाकात फ्रैंक कैपरा से दिल्ली फिल्म फेस्टिवल में हुई थी। वह वहां जूरी मेंबर्स में से एक थे। इसके बाद, धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हुई और दोनों ने एक दूसरे को लिखना शुरू कर दिया।”