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Last Modified: शनिवार, 13 जुलाई 2024 (15:21 IST)

म्यूजिक कंपोजर बनना चाहते थे प्रकाश मेहरा, नाना की तिजोरी से पैसे चुराकर पहुंचे थे मुंबई

prakash mehra birth anniversary director had reached mumbai after stealing 13 rupees from his grandfathers safe - prakash mehra birth anniversary director had reached mumbai after stealing 13 rupees from his grandfathers safe
Photo Credit : Twitter
Prakash Mehra Birth Anniversary: बॉलीवुड में प्रकाश मेहरा ने अपनी निर्मित-निर्देशित सुपरहिट फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाई लेकिन वह अपने करियर के शुरूआत में म्यूजिक कंपोजर बनना चाहते थे। प्रकाश मेहरा का जन्म 13 जुलाई 1939 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ। बचपन से प्रकाश मेहरा को रेडियो पर गाने सुनने का शौक था। 
 
प्रकाश मेहरा ने कम उम्र में ही गाने लिखना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने तय किया कि वह म्यूजिक कंपोजर बनेंगे। एक दिन प्रकाश मेहरा नाना के तिजोरी से 13 रुपए चुराकर मुंबई भाग गए। उन्होंने एक सैलून में काम करना शुरू कर दिया। कुछ दिनों तक प्रकाश मेहरा ने सैलून में नौकरी की लेकिन उनका ध्यान गानों में ही लगा रहता था। इसी दौरान नाना उन्हें वापस घर ले जाने के लिए मुंबई आ गए। 
 
काफी मनाने के बाद प्रकाश मेहरा अपने नाना के साथ घर वापस चले गए। कुछ दिनों तक वो वहां रहे लेकिन फिर वह मुंबई चले गए। प्रकाश मेहरा ने अपने करियर की शुरुआत में उजाला और प्रोफेसर जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म हसीना मान जाएगी बतौर निर्देशक प्रकाश मेहरा की पहली फिल्म थी। इस फिल्म में शशि कपूर ने दोहरी भूमिका निभाई थी। 
वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म जंजीर प्रकाश मेहरा के साथ ही अमिताभ के करियर के लिए मील का पत्थर सबित हुई। बताया जाता है धर्मेन्द्र और प्राण के कहने पर प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को जंजीर में काम करने का मौका दिया और उन्हें साइंनिग अमाउंट एक रुपया दिया था। फिल्म जंजीर को बनाने के लिए उन्होंने अपनी बीवी के गहने तक गिरवी रख दिए थे।
 
प्रकाश मेहरा अमिताभ को प्यार से 'लल्ला' कहकर बुलाते थे। जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ और प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्मों का कारवां काफी दूर तक चला। इस दौरान लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर, नमक हलाल, शराबी, हेराफेरी जैसी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता का परचम लहराया। 
 
प्रकाश मेहरा एक सफल फिल्मकार के अलावा गीतकार भी रहे और उन्होंने अपनी कई फिल्मों के लिए सुपरहिट गीतों की रचना की थी। इन गीतों में ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना, लोग कहते है मैं शराबी हूं, जिसका कोई नही उसका तो खुदा है यारो, जवानी जाने मन हसीन दिलरूबा, जहां चार यार मिल जाए वहां रात हो गुलजार, इंतहा हो गई इंतजार की, दिल तो है दिल दिल का ऐतबार क्या कीजे, दिलजलो का दिलजला के क्या मिलेगा दिलरूबा आदि शामिल है।
 
बताया जाता है मुंबई में अपने संघर्ष के दिनो में प्रकाश मेहरा को जीवन यापन के लिए केवल पचास रुपये में गीतकार भरत व्यास को 'तुम गगन के चंद्रमा हो मैं धरा की धूल हूं' गीत बेचने के लिए विवश होना पड़ा था। प्रकाश मेहरा ने अपने सिने करियर में 22 फिल्मों का निर्देशन और 10 फिल्मों का निर्माण किया। वर्ष 2001 में प्रदर्शित फिल्म मुझे मेरी बीबी से बचाओ प्रकाश मेहरा के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुई। 
 
प्रकाश मेहरा अपने जिंदगी के अंतिम पलो में अमिताभ को लेकर 'गाली' नामक एक फिल्म बनाना चाह रहे थे। लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रहा और अपनी फिल्म के जरिये दर्शकों का भरपूर मनांरजन करने वाले प्रकाश मेहरा 17 मई 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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