'मेरे साईं : श्रद्धा और सबुरी' : कभी हार न मानने में यकीन रखते हैं तुषार दल्वी, बोले- सतत प्रयास ही हल
सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के शो 'मेरे साईं : श्रद्धा और सबुरी' ने हर एपिसोड के साथ अपने दर्शकों को एक नैतिकता की दिशा में आगे बढ़ाया है। इस शो का नया ट्रैक, साईं के वचन 'जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का' पर केंद्रित है, जिसमें युवा उर्वशी (वैष्णवी प्रजापति) को दिखाया गया है।
उर्वशी एक नर्तकी बनने की इच्छा रखती है, लेकिन उसके चाचा अक्सर उसे हतोत्साहित करते हैं, क्योंकि उन्हें उर्वशी के पेशे का चुनाव पसंद नहीं है। इस शो में दिखाए गए मूल्य सभी कलाकारों के साथ-साथ विशेष रूप से तुषार दल्वी के जेहन में गूंजते हैं, जो साईं बाबा की भूमिका निभा रहे हैं।
इस शो में उर्वशी का किरदार एक युवा, जोशीली लड़की का है, जो कभी अपने सपनों को नहीं छोड़ती। इस विचार से प्रेरित होकर, तुषार दलवी बताते हैं, जीवन में अक्सर ऐसे पल आते हैं, जब हम निराशा महसूस करते हैं और असफलताओं से हारकर पीछे हट जाते हैं। हालांकि, अपने सपनों को ध्यान में रखते हुए, राह पर बने रहने से बहुत-से लोगों ने अपने लक्ष्य हासिल किए हैं, और हमें जीवन में उसी का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि कभी हार न मानने का जज़्बा हमें जीवन में वाकई बहुत आगे ले जाता है। हर वो शख्स जिसने मुझे कभी प्रभावित किया है, वो संघर्ष की पृष्ठभूमि से आता है लेकिन वे अंततः जीवन में कुछ कर दिखाने में में कामयाब रहे हैं। प्रेरणा की ये कहानियां मुझे आगे बढ़ाती हैं।
तुषार आगे कहते हैं, जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग जब आगे बढ़ते हैं तो उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि इन सबके बावजूद एक दिन सबकुछ ठीक हो जाएगा।