कभी विज्ञापन फिल्मों के लिए जिंगल गाते थे जगजीत सिंह, गजल गायकी को दिया नया आयाम
बॉलीवुड में जगजीत सिंह का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी गजल गायकी से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी। 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह के बचपन का नाम जगमोहन था, लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने अपना नाम जगजीत सिंह रख लिया।
बचपन के दिनो से हीं जगजीत सिंह संगीत के प्रति रूचि रखा करते थे। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से हासिल की। वर्ष 1965 में पार्श्वगायक बनने की तमन्ना लिए जगजीत सिंह मुंबई आ गए। शुरूआती दौर में जगजीत सिंह को विज्ञापन फिल्मों के लिए जिंगल गाने का अवसर मिला। इस दौरान उनकी मुलाकात चित्रा पार्श्वगायिका दत्ता से हुई।
वर्ष 1969 में जगजीत सिंह ने चित्रा से शादी कर ली। इसके बाद जगजीत-चित्रा की जोड़ी ने कई अल्बमो में अपने जादुई पार्श्वगायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जगजीत सिंह ने प्राइवेट अल्बम में पार्श्वगायन करने के अलावा कई फिल्मों में भी अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है।
वर्ष 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।अपनी गायकी से श्रोताओं के बीच अमिट छाप छोड़ने वाले जगजीत सिंह ने 10 अक्टूर 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
जगजीत सिंह के गाए सुपरहिट गानो की लंबी फेहरिस्त में होठो से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो, झुकी झुकी सी नजर, तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो, तुमको देखा तो ये ख्याल आया, ये तेरा घर ये मेरा घर, चिट्ठी ना कोई संदेश, होश वालो को खबर क्या आदि शामिल है।