विभाजन के बाद तीन लड़कियों के जीवन में आए बदलाव को दिखाएगा शो क्यों उत्थे दिल छोड़ आए'
सोनी टीवी पर हाल ही में एक नया सीरियल शुरू किया गया है, 'क्यों उत्थे दिल छोड़ आए।' यह सीरियल 1947 में भारत की आजादी और भारत और पाकिस्तान विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनाया गया सीरियल है। सीरियल के निर्माता शशी सुमीत प्रोडक्शंस है, निर्माताओं का कहना है कि हमने हमारे सीरियल में हर बार दो या तीन लड़कियों की कहानियों को दिखाने की कोशिश की है।
वह तो हाल ही में कुछ इतने बदलाव आए हैं कि अब एक ही मेन लीड को लिया जाता है, या एक ही किरदार पर फोकस कर लिया जाता है और उसकी कहानी को दिखा दिया जाता है। जब हम यह सीरियल बनाने की सोच रहे थे तब हमने तीन लड़कियों को लिया और उनकी जिंदगी में विभाजन की पृष्ठभूमि पर क्या-क्या अंतर आए हैं। यह दिखाने की कोशिश की गई है। यह तीनों लड़कियां अलग अलग है, लेकिन कहीं ना कहीं जाकर यह एक दूसरे के जीवन में एक अभिन्न हिस्सा बन जाती हैं। तीनों की कहानियां एक-दूसरे से उलझ जाती है और फिर कैसे सुलगती है। यह सब दिखाने की कोशिश की गई है।
इस सीरियल में संगीत दिया है उत्तम सिंह ने जो इसके पहले पिंजर और गदर जैसी फिल्मों में भी अपना संगीत दे चुके हैं। यह दोनों ही फिल्में पार्टीशन पर बनी थी और अब उनका यह सीरियल भी विभाजन पर आधारित एक सीरियल होने वाला है। हालांकि इसमें विभाजन की उस पीड़ा को शायद ना भी दिखाया जाए।
अपने इस सीरियल के संगीत के बारे में उत्तम सिंह का कहना था कि, जब मैं इसका टाइटल सॉन्ग बना रहा था तब मुझे खय्याम साहब के पहाड़ी राग की याद आई खय्याम साहब का गाना था बहारों मेरा जीवन भी सवारों और अगर मेरे इस गाने क्यों उत्थे दिल छोड़ आए को सुनेंगे तो आपको भी समझ में आएगा कि यह भी पहाड़ी राग में ही बनाया गया गाना है।
निर्माताओं ने मुझसे बात कही तो मैं तुरंत हां बोल गया और उसके बाद निर्माताओं का अगले 15 दिन तक मुझे कोई भी कॉल नहीं आया और मैं बड़े चिंता में आ गया। वरना होता तो यूं है कि निर्माता बताते हैं कि आपको संगीत देना है और दूसरे या तीसरे दिन से ही लगातार उनके फोन या मैसेज आने लग जाते हैं कि काम कहां तक पहुंचा है तो जब 15 दिन के बाद निर्माताओं का मुझे फोन आया तब मुझे समझ में आया और लगा कि मैं बहुत ही खुशकिस्मत हूं कि मेरे निर्माताओं ने मुझ पर इतना भरोसा किया कि मैं बेहतरीन गाना बना सकूं और मेरे ऊपर समय सीमा को लेकर कोई भी चुनौती ना हो।
सीरियल में अमृत का रोल निभाने वाली ग्रेसी गोस्वामी का कहना है कि मुझे रोल बहुत ही अच्छा लगा। लेकिन इसमें मुझे बहुत सारी मेहनत करनी पड़ेगी। पहले तो हिंदी और पंजाबी सीखना और वह भी उस समय की हिंदी और पंजाबी सीखना जो मैं बहुत आसानी से बोल भी सकूं। इसके बाद कैसे उस समय की लड़कियां चलती थी बोलती थी इन सब बारे में भी मैंने सीखा। हालांकि मुझे अपनी टीम से बहुत ज्यादा सहायता मिली।
इस सीरियल में मैं कहानी लिखने वाली एक लेखिका हूं जो सपने देखती है, कहानियां लिखती है, प्यार पर यकीन करती है, लेकिन अपने परिवार को सबसे ज्यादा प्यार करती है और अपने इस परिवार के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हो जाती है यहां तक कि वो अपने सपने भी छोड़ देने को तैयार हो जाती है। किसी भी हालत में अमृत अपने घर परिवार वालों को दुखी नहीं कर सकती है और शायद इसीलिए वह किसी और नाम से अपनी कहानियां लिखती है। इस किरदार में मुझे अमृत के पापा और उसके चाचा के साथ जिस तरीके से खूबसूरत रिश्ते और प्यार से दिखाए हैं, वह निभाने में भी बहुत मजा आया।
हाल ही में बैरिस्टर बाबू में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रणाली ठाकुर भी इसमें राधा के किरदार में नजर आने वाली हैं। वह यश टोंक जैसे जाने-माने कलाकार के ऑपोजिट काम कर रही हैं। अपने इस रोल के बारे में प्रणाली का कहना है कि मैं करतब दिखाने वाली का रोल निभा रही हूं। मेरे पास अपना तो कोई परिवार नहीं है लेकिन एक मामा है। और एक मुंह बोला भाई है।
मेरे मामा ने मुझे सारे करतब सिखाए हैं। साथ ही में यह भी बताया कि करतब दिखाने वालों से कभी कोई शादी नहीं करता। ऐसे में जब मेरे सामने ब्रज आते हैं और मुझसे सीधे एक ही सवाल पूछते हैं कि क्या मैं उसे शादी कर सकती हूं। तो मैं बिना कुछ सोचे समझे हां बोल देती हूं क्योंकि मेरे मन में तो यही था कि मुझसे कभी कोई शादी नहीं करेगा और ऐसे में सामने से चलकर रिश्ता रहा है तो मैं मना नहीं कर पाई। अब राधा का किरदार कुछ इस तरीके से आगे बढ़ता है कि कैसे वह ब्रज के घर में जाकर चीजों को समझती है। रिश्ते में क्या करते हैं। रिश्तेदारी में क्या निभाते हैं। इन सबकी समझ उसे धीरे-धीरे आती है।