रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. मुलाकात
  4. pratik gandhi shared his experience when doing gangistan podcast
Last Updated : गुरुवार, 25 नवंबर 2021 (16:28 IST)

पॉडकास्ट 'गैंगिस्तान' में अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे प्रतीक गांधी, बोले- हम सिर्फ आवाज ही नहीं निकाल रहे...

पॉडकास्ट 'गैंगिस्तान' में अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे प्रतीक गांधी, बोले- हम सिर्फ आवाज ही नहीं निकाल रहे... - pratik gandhi shared his experience when doing gangistan podcast
प्रतीक गांधी अब लोगों के लिए एक नया नाम नहीं रहे हैं। एक के बाद एक उनकी फिल्म या वेब सीरीज लोगों के सामने आ ही रही है। स्कैम 1992 के साथ अपनी एक नई छवि बनाने वाले प्रतीक गांधी की जिंदगी में अब पॉडकास्ट भी जुड़ गया है। प्रतीक गांधी ने हाल ही में गैंगिस्तान की सीरीज में अपनी आवाज दी है और साथ ही अपने पॉडकास्ट के जरिए और अपनी आवाज के जरिए लोगों के दिलों में जगह बनाने की एक नई कोशिश भी शुरू की है। इसी विषय पर बात करते हुए वेबदुनिया से प्रतीक गांधी की एक्सक्लूसिव बातचीत के कुछ अंश... 

 
क्या पॉडकास्ट की रिकॉर्डिंग और फिल्मों की डबिंग इसमें कोई अंतर है?
बिल्कुल पॉडकास्ट के लिए मुझे बहुत अलग तरीके की मेहनत करनी पड़ी क्योंकि यह 48 एपिसोड की सीरीज है जिसमें मैं आशु पटेल का रोल निभा रहा हूं जो एक पत्रकार है और कैसे एक क्राइम रिपोर्टर के नजरिए से गैंगवार होती है और उसके सामने क्या-क्या होता है, उसके साथ क्या-क्या होता है, इसे दिखाने की कोशिश की है। 
 
जब हम रिकॉर्डिंग कर भी रहे तो हम सिर्फ आवाज ही नहीं निकाल रहे थे या बैठकर डायलॉग डिलीवरी नहीं कर रहे थे हम उस सीन को परफॉर्म भी कर रहे थे। अगर इस सीन में मैं भाग रहा हूं, तो आवाज भी निकाली हैं हमने। जहां तक बात है, मेरे रोल की तो आशु पटेल को मैं खुद भी जानता हूं। जाने-माने पत्रकार हैं उनकी कुछ किताबे भी मैं पढ़ चुका हूं। वैसे भी मुझे मेरे स्कैम 92 के डायलॉग के लिए लोगों का बहुत प्यार मिला है तो पॉडकास्ट मुझे एक नया तरीका लगा लोगों से जुड़ने का। 
 
अभी तक जब भी आपने क्राइम रिपोर्टर के बारे में देखा या पढ़ा? क्या यह रोल वैसा ही था
हमने बहुत बार टेलीविजन पर या फिल्मों में या फिर किताबों में पढ़ा है कि क्राइम रिपोर्टर कैसे होते हैं। यह उसी तरीके का किरदार मुझे लगा, लेकिन इसमें कुछ नई बात भी सीखने का मुझे मौका मिला। वह यह कि किसी भी पत्रकार के लिए रिश्ते बहुत मायने रखते हैं। वैसे भी कहते हैं ना बिजनेस बाय प्रोडक्ट ऑफ रिलेशन। 
 
वही मुझे पत्रकारों की जीवन के बारे में समझ में आया। जो खबरें उन्हें मिलती है वह अपने रिश्तों की वजह से मिलती है। आप जैसे आशु पटेल की ही बात ले, उसके जो रिश्ते थे पुलिस ऑफिसर से या फिर अंडरवर्ल्ड में जो उसके सोर्सेस हुआ करते थे, उनसे कैसे उनके रिश्ते रहे हैं ये हमने बताया है। यह सिर्फ काम के रिश्ते नहीं थे। यह बहुत आत्मीय और मानवीय रिश्ते भी रहे हैं तो यह बहुत नई बात मुझे समझ आई।
 
चूंकि आप पत्रकार बने हैं। अब आप बताइए आपके जिंदगी का पहला इंटरव्यू कैसा था और किसने लिया था।
अब इसको दस साल से अधिक हो गए हैं और मुझे याद नहीं कि उन्होंने मेरा इंटरव्यू लिया था। लेकिन एक बात मुझे अच्छे से याद है कि इंटरव्यू के लिए मैं बहुत तैयारी करके गया था कि मैं कैसे रोल के बारे में बताऊंगा, रोल की गहराइयों के बारे में कैसे बताऊंगा। जब मैं वहां पहुंचा तो पत्रकारों को रोल के अलावा भी बहुत सारी बातें जाननी थी। मुझे उस मौके पर समझ में ही नहीं आया कि क्या बोलना है, कहां तक बोलना और कहां जाकर रुक जाना है तो जो मेरा पहला इंटरव्यू था इतना लंबा चल गया कि मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाया। 
 
आपकी धर्मपत्नी भामिनी का रोल साराभाई वर्सेस साराभाई मैं बहुत यादगार रहा है, खासकर उनकी आवाज को लोग आज भी भूल नहीं पाए हैं। आपको कैसी लगती उनकी आवाज
साराभाई वर्सेस साराभाई हमारी शादी के पहले का सीरियल रहा है और उस दौरान जब भी मैं उनसे मिलता था तब उस समय वह थिएटर भी किया करती थीं और गुजराती ड्रामा जब वह करती है तब उनकी आवाज इतनी अलग होती है। जिस रोज कि मैं बात कर रहा हूं उसमें तो उनकी आवाज बड़ी नेजल (नकसुरी आवाज़) थी। मैं बड़ा चौंक जाता था। अब तो यह हाल है कि मुझे घर में जब भी मौका मिलता है मैं उनसे अलग अलग तरीके की बातें करवाता हूं। उन्हें एक ही भाषा में कई भाषाएं आती है मैं सुनता रहता हूं। उनकी आवाज में वह इतना खेल खेलती है, कभी एकदम चीखने वाली आवाज में बात करती हैं तो कभी एकदम शांत आवाज में बात करती हैं और जब उनसे यह सारे काम में करवाता हूं मैं बैठकर बड़ा आनंद लेता हूं। 
 
आप अच्छे खासे दिखते हैं, आप प्रेजेंटेबल हैं। कहीं कुछ अधूरापन नहीं लगा सिर्फ आवाज पहुंच रही है लोगों तक।
नहीं, मुझे अधूरापन नहीं लगा बल्कि मुझे तो मजा आ रहा था। एक चुनौती भरा काम लग रहा था क्योंकि थिएटर में भी हम लोग यही करते हैं कि आपको कुछ बंधनों में बांध दिया जाता है। चुनौती दी गई है फिर आपको सारे मनोभाव आवाज के जरिए दूसरे इंसान तक पहुंचाने हो तब मान लीजिए एक कोने से दूसरे कोने तक आवाज देनी है और बातचीत करनी है, डायलॉग करना है लेकिन आप हाथ पांव नहीं हिला सकते। आपके दोनों हाथ बांध दिए गए हैं तो कैसे आप आवाज को पहुंचाएंगे और कैसे आप अपनी वॉइस माड्यूलेशन के जरिए कमरे के दूसरे छोर पर खड़े इंसान को अपनी बात पहुंचाएंगे। 
 
आप तो खुद रेडियो में काम कर चुके हैं। उस समय की याद आई आपको 
अरे मैं तो यादों में गुम हो गया था। मैं अपने होम टाउन, सूरत की मैं बात बताता हूं। वहां पर ऑल इंडिया रेडियो में काम करता था और कैजुअल अनाउंसर हुआ करता था। वहीं मैंने हेलो फ्रेंड्स नाम का एक प्रोग्राम भी शुरू किया था। मैं तब की बात बता रहा हूं जब प्राइवेट एफएम स्टेशन नहीं हुआ करते थे और ऑल इंडिया रेडियो ही अकेला रेडियो हुआ करता था।
 
फेवरेट रेडियो एनाउंसर कौन है? 
पूरे देश में अगर किसी से भी पूछा जाए कि फेवरेट रेडियो पर फेवरेट अनाउंसर कौन है तो एक ही नाम आएगा और वह है अमीन सयानी।
ये भी पढ़ें
अमेजन प्राइम वीडियो ने 'इनसाइड एज 3' की रिलीज़ से पहले रीकैप वीडियो किया रिलीज़