दस साल बाद सलमान खान के शो 'दस का दम' की वापसी हुई और शुरुआती दो एपिसोड्स बेदम नजर आए। लगभग डेढ़ घंटे के प्रत्येक एपिसोड में सिर्फ सलमान की स्टार वाली छवि को भुनाने की कोशिश की गई और इससे बचे हुए समय में गेम खेला गया।
हर प्रश्न के शुरू और आखिर में लंबी-चौड़ी बातें की गईं ताकि सुपरस्टार सलमान पर ज्यादा फोकस रहे। उनके फैंस खुश रहे। लिहाजा जो गेम देखने के लिए बैठे थे उनके लिए वक्त काटना मुश्किल हो गया।
हर प्रतियोगी के जीवन से जुड़ी झलकियां दिखाई गई जैसा कि 'कौन बनेगा करोड़पति' में दिखाया जाता है। इसके बाद सलमान खान प्रतियोगियों से बात करते नजर आएं। प्रश्न को लेकर उन्होंने टिप्पणियां की, लेकिन ये सारी बातें सतही रहीं, क्योंकि अमिताभ बच्चन जैसी गहराई सलमान में कहां?
शो के निर्माता का फोकस इस बात पर ज्यादा रहा कि ज्यादा से ज्यादा कैमरा सलमान पर रहे ताकि उनके फैंस को घर बैठे सलमान के दर्शन हो। वैसे भी गेम की जो रूपरेखा है वो दमदार नहीं है।
जो प्रश्न इस शो में पूछे जाते हैं उनका सही जवाब क्या है वो कोई नहीं बता सकता। चैनल वालों का अपना सर्वे है और उसके आधार पर जवाब तय किए गए हैं। जितनी बार सर्वे करेंगे उतनी बार अलग-अलग जवाब मिलेंगे, लिहाजा इस शो से 'कौन बनेगा करोड़पति' जैसे शो की बुद्धिमत्ता की अपेक्षा करना फिजूल है।
शायद यह बात निर्माता भी जानते हैं इसलिए वे कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने के लिए सलमान के स्टारडम का सहारा ले रहे हैं। जो सलमान के फैन हैं उन्हें शो अच्छा लग सकता है, लेकिन जो 'गेम' पसंद करते हैं उन्हें यह शो बांध कर नहीं रख पाया है।