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'मुगल-ए-आज़म' अब नाटक के रूप में

'मुगल-ए-आज़म' अब नाटक के रूप में - Mughal-E-Azam, Firoz Abbas Khan, Dilip Kumar
मधुबाला के गालों की रंगत बदलते सिर्फ़ सुना हो... शहज़ादे सलीम की पाक़ मुहब्बत का सिर्फ़ अंदाज़ लगाया हो या कभी दुर्गा खोटे के राजपूताना अंदाज़ को आंखों के सामने देख लेने की तमन्ना रही हो.. तो ज़रा रुक जाइए। आपकी इन सब इच्छाओं को पूरा होने में ज्यादा समय नहीं बचा है... जल्द ही आप शहंशाह अकबर के तैश को महसूस भी कर सकेंगे, शीश महल के दर्शन भी सकेंगे और मुग़ले आज़म के गीत 'जब प्यार किया तो डरना क्या' को लाइव सुन सकेंगे। 
 
देश में एक भव्य ब्रॉडवे के ज़रिए ये सब मुमकिन बनाया जा रहा है। 'मुग़ल ए आज़म' अब नाटक के ज़रिए लोगों के सामने आ रहा है। इस ब्रॉडवे का निर्देशन कर रहे हैं, फिरोज़ अब्बास ख़ान। फ़िरोज़ इसके पहले भी तुम्हारी अमृता, सेल्समैन रामलाल और महात्मा वर्सेस गांधी जैसे चर्चित नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं। 
 
फिरोज़ का कहना है कि “जब बीड़ा उठा लिया है तो नाटक पूरा करना तो पड़ेगा। सब लोगों की बहुत सारी उम्मीद जुड़ी हैं नाटक से। वे पहले इसे फ़िल्म के रूप में देख चुके हैं, तो उन्हें यक़ीन दिलाना है कि यह मीडियम अलग है, इसके अपने दायरे हैं, जरा टेंशन भरा होगा। हमारी अभिनेत्री लाइव गा रही थी। वह डांसर भी है और अभिनय तो कर ही रही थी। फ़िल्म में आप फिर शूट कर सकते हैं, री-टेक ले सकते हैं। यहां सब लाइव है, इसका अलग मज़ा है। जो पुरानी यादे लें कर आए हैं, इस मीडियम की वजह से अलग यादें ले कर जाएं। मेरे लिए ये ड्रामा के.आसिफ़ के लिए एक श्रद्धांजलि है।”
 
जब बात अडॉप्टेशन की हो तो उस युद्ध को भी दिखाया जाना है जो सलीम और शहंशाह अकबर के बीच होगा और इसमें इतने सिपाहियों को तलवारबाज़ी करते दिखाना होगा और साथ ही बड़े बड़े हाथियों की लड़ाई भी शामिल होगी.... जो किसी भी आम मंच पर दिखाना असंभव है। ऐसे में ब्रॉडवे करने वाले कुछ स्पेशलिस्ट्स को बुलाया गया है, जो लाइट एंड साउंड इफ़ेक्ट और प्रोजेक्शन के ज़रिए इसकी भव्यता में चार चांद लगाने वाले हैं। 
इसमें काम करने वाले प्रोजेक्शन डिज़ायनर जॉन नैरून का कहना है कि “हमने इसके पहले कई ब्रॉडवे किए हैं लेकिन जब भारत में वही काम करना चाहा तो कई लोग आगे आए। हमने भी महलों का, सिंहासनों का और कई चीज़ों को अध्ययन किया। फ़िल्म को ख़ुद देखा और ऐसे में उस समय की वस्तु के साथ साथ अपनी कल्पनाओं से मिला कर प्रोजेक्शन तैयार किए।”
 
इसके अलावा इस फ़िल्म के कॉपीराइट के बारे में जब फिरोज़ 'मुग़ले आज़म' के निर्माता शापुरजी पालनजी के पास पहुंचे तो उन्होंने हां कर दी। शापुरजी पालनजी के ग्रूप सीईओ दीपेश सालगिया का कहना था कि “जब कुछ समय पहले हमने 'मुग़ले आज़म' का रंगीन संस्करण लोगों के सामने लाया था तो उसमें भी बड़ी मेहनत लगी थी। जब नाटक की बात हमारे सामने आई तो हमने कहा कि इस कहानी को नए रूप में जब सामने लाया जा रहा है तो उसे छोटे सपने की तरह नहीं दिखाएंगे। 1960 में निर्मित 'मुग़ले आज़म' बहुत बड़ी फ़िल्म थी तो 2016 में ये एक बड़े पैमाने का नाटक होगा। हमने इसे भी प्रायोजित करने की ठानी। अब इसके बजट के बारे में इतना कह सकता हूं कि आम नाटक का जो कुल खर्चा होता है उससे कई ज्यादा तो इसके कॉस्ट्यूम पर खर्च किया गया है।”
इस नाटक के ज़रिए फ़िल्मों के जाने माने कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर पर भी पहली बार नाटक की ख़ुमारी चढ़ने वाली है। मनीष का कहना है “मुग़ले आज़म फ़िल्म की हर बात बड़ी निराली थी। इसके सेट्स, कलाकार, संवाद, कपड़े, सब कुछ। ये पहली बार है कि जब मैं नाटक के लिए कॉस्ट्यूम डिज़ाइन कर रहा हूं। कल तक अनारकली के लिए कुछ कपड़े पीले रंग मे बना दिए थे, लेकिन जब उसे नाटक मे इस्तेमाल की जाने वाली लाइट्स में देखा तो रातों रात मैंने उसे गहरे गुलाबी रंग में बनाया। अब वे कपड़े बैक्ग्राउंड के साथ मर्ज नहीं होते हैं। मेरे ख़ुद के डिज़ाइन स्टोर्स के लिए मैंने कपड़े बनाना दो–तीन दिन के लिए बंद किया और सारा ध्यान इस ड्रामे को दे कहा हूं, क्या करूं मेरे लिए सब नया है।”
 
ड्रामा के शोज़ मुंबई और दिल्ली में बुक हो गए हैं और इस शो में उन लोगों को ख़ास तौर पर आमंत्रित किया गया है जो इस फिल्म से जुड़े हैं। लता मंगेशकर ने अपनी ख़राब तबियत के चलते कहा है कि शो वाले दिन वे एक ख़ास संदेश भेजेंगी और जहां तक दिलीप कुमार की बात है निर्देशक फिरोज़ ने उन्हें बुलावा भेजा है, लेकिन उनके ग़ैरमौजूदगी उन्हें पहले से पता है।  फ़िरोज़ कहते हैं काश कि दिलीप साहब आते, लेकिन अब उनकी उम्र देख कर मैं अपनी मर्यादा नहीं लांघ सकता, वे बड़े हैं ना। 
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