बॉलीवुड के 'खिलाड़ी' कुमार, अक्षय कुमार, एक ऐसा नाम हैं जो दशकों से भारतीय सिनेमा पर राज कर रहे हैं। अपनी एक्शन, कॉमेडी और सामाजिक संदेश वाली फिल्मों के लिए जाने जाने वाले अक्षय ने एक बड़ा दर्शक वर्ग बनाया है। हालांकि, हाल के वर्षों में उनकी बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस में गिरावट देखी गई है, जिसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं?
क्या अक्षय कुमार अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं?
यह कहना पूरी तरह सही नहीं होगा कि अक्षय कुमार अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि उनकी हालिया फिल्मों की असफलता ने उनकी स्टारडम पर सवालिया निशान लगा दिया है। एक समय था जब अक्षय की फिल्म का मतलब बॉक्स ऑफिस पर सफलता की गारंटी होता था। आज, उनकी फिल्में उम्मीद के मुताबिक कमाई नहीं कर पा रही हैं, जिससे उनके प्रशंसकों और ट्रेड पंडितों दोनों में चिंता है। सोशल मीडिया पर भी उनकी फिल्मों को लेकर पहले जैसी दीवानगी कम दिख रही है, और ट्रोलिंग का सामना भी उन्हें करना पड़ रहा है।
अक्षय कुमार की पिछली कुछ फिल्मों की सूची और उनकी असफलता के संभावित कारण इस प्रकार हैं:
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बच्चन पांडे (2022): यह एक गैंगस्टर कॉमेडी थी जिसमें अक्षय का लुक और किरदार दर्शकों को पसंद नहीं आया। कहानी में भी दम नहीं था।
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सम्राट पृथ्वीराज (2022): एक बड़े बजट की ऐतिहासिक फिल्म, जो खराब पटकथा और कमज़ोर निर्देशन का शिकार हुई। अक्षय के अभिनय को भी आलोचना का सामना करना पड़ा।
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रक्षा बंधन (2022): एक भावनात्मक पारिवारिक ड्रामा, जिसे कुछ दर्शकों ने सराहा, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। फिल्म की धीमी गति और कुछ घिसे-पिटे तत्वों ने इसे नुकसान पहुंचाया।
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कठपुतली (2022): सीधे ओटीटी पर रिलीज़ हुई यह थ्रिलर दर्शकों को कुछ हद तक पसंद आई, लेकिन सिनेमाघरों में इसका प्रदर्शन कैसा होता, यह कहना मुश्किल है।
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सेल्फी (2023): यह मलयालम फिल्म 'ड्राइविंग लाइसेंस' का रीमेक थी, जो दर्शकों को बिल्कुल भी रास नहीं आई। अक्षय और इमरान हाशमी की केमिस्ट्री भी फीकी रही।
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मिशन रानीगंज (2023): एक सच्ची घटना पर आधारित यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों को खींचने में नाकाम रही। फिल्म का प्रचार-प्रसार भी कुछ खास नहीं था।
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बड़े मियां छोटे मियां (2024): टाइगर श्रॉफ के साथ आई यह मल्टीस्टारर एक्शन फिल्म एक बड़ी उम्मीद थी, लेकिन यह बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई। कमजोर कहानी, खराब वीएफएक्स और पुरानी पड़ चुकी एक्शन कोरियोग्राफी इसकी असफलता के मुख्य कारण रहे।
असफलता के मुख्य कारण:
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कमज़ोर पटकथा और निर्देशन: कई फिल्मों में कहानी में नयापन नहीं था और प्रस्तुति भी लचर थी।
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घिसा-पिटा कंटेंट: दर्शक अब कुछ नया देखना चाहते हैं, जबकि अक्षय की कुछ फिल्में पुरानी पड़ चुकी शैली में थीं।
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रीमेक पर अत्यधिक निर्भरता: रीमेक फिल्में अक्सर मूल फिल्म जितना प्रभाव नहीं छोड़ पातीं, खासकर जब उनमें कोई नयापन न हो।
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अक्षय का ओवर-एक्सपोजर: लगातार फिल्में करने से दर्शक उनके हर किरदार से जुड़ नहीं पा रहे हैं।
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बढ़ती प्रतिस्पर्धा: ओटीटी प्लेटफॉर्म और साउथ की फिल्मों से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा भी एक कारण है।
क्या अक्षय कुमार की ज्यादा फिल्म करने की आदत नुकसान कर रही है?
हाँ, यह कहना गलत नहीं होगा कि अक्षय कुमार की ज्यादा फिल्में करने की आदत उन्हें नुकसान पहुंचा रही है।
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क्वालिटी पर असर: लगातार फिल्में साइन करने और कम समय में शूट करने से अक्सर स्क्रिप्ट, निर्देशन और पोस्ट-प्रोडक्शन पर ध्यान कम हो जाता है, जिसका सीधा असर फिल्म की गुणवत्ता पर पड़ता है।
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ओवर-एक्सपोजर: जब एक ही अभिनेता साल में 3-4 फिल्में करता है, तो दर्शक उससे ऊबने लगते हैं। उनका हर किरदार एक जैसा दिखने लगता है, और नयापन खत्म हो जाता है।
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किरदार में गहराई की कमी: कम समय में कई किरदार निभाने से अभिनेता को उनमें पूरी तरह घुलने-मिलने का मौका नहीं मिलता, जिससे उनके अभिनय में भी उतनी गहराई नहीं आ पाती।
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थकान और कम ऊर्जा: लगातार काम करने से अभिनेता शारीरिक और मानसिक रूप से थक सकता है, जिसका असर उनकी परफॉर्मेंस पर दिख सकता है।
क्या अक्षय कुमार गलत फिल्मों का चयन कर रहे हैं?
यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है। अक्षय कुमार ने अतीत में कई बेहतरीन फिल्मों का चयन किया है, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसा लग रहा है कि उनके फिल्म चयन में कुछ गड़बड़ी है।
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सुरक्षित ज़ोन से बाहर नहीं आना: अक्षय ने एक 'फॉर्मूला' बना लिया है - देशभक्ति, सामाजिक संदेश या हल्की-फुल्की कॉमेडी। दर्शक अब उनसे कुछ नया चाहते हैं।
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स्क्रिप्ट की गुणवत्ता पर कम ध्यान: ऐसा प्रतीत होता है कि वह कहानी की गुणवत्ता की तुलना में जल्दी रिलीज करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
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रीमेक की भरमार: मूल कहानी कहने के बजाय लगातार रीमेक में काम करने से उनकी रचनात्मकता पर भी सवाल उठता है।
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बाज़ार की बदलती पसंद को समझना: कोविड के बाद दर्शकों की पसंद बहुत बदल गई है। उन्हें अब सिर्फ स्टारडम नहीं बल्कि अच्छी कहानी चाहिए। अक्षय शायद इस बदलाव को पूरी तरह नहीं समझ पा रहे हैं।
क्या 'हाउसफुल 5' से अक्षय कुमार की वापसी होगी क्योंकि दर्शक उन्हें कॉमेडी करते देखना पसंद करते हैं?
'हाउसफुल' फ्रेंचाइजी अक्षय कुमार की सबसे सफल कॉमेडी फ्रेंचाइजी में से एक रही है। दर्शकों ने हमेशा उन्हें कॉमेडी भूमिकाओं में पसंद किया है, और 'हेरा फेरी', 'वेलकम', 'भूल भुलैया' जैसी फिल्मों ने यह साबित किया है। 'हाउसफुल 5' से अक्षय कुमार की वापसी की उम्मीदें काफी हैं क्योंकि:
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हिट कॉमेडी ब्रांड: 'हाउसफुल' एक स्थापित कॉमेडी ब्रांड है जिसकी अपनी फैन फॉलोइंग है।
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अक्षय की ताकत: अक्षय कुमार कॉमेडी टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं। दर्शक उन्हें इस जॉनर में देखना पसंद करते हैं, खासकर जब वह एक बड़ी स्टारकास्ट के साथ हों।
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कमबैक का मौका: एक सफल कॉमेडी फिल्म अक्षय के करियर को एक नई दिशा दे सकती है और उनकी पिछली असफलताओं की भरपाई कर सकती है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि केवल फ्रेंचाइजी का हिस्सा होना ही सफलता की गारंटी नहीं है। 'हाउसफुल 5' की सफलता उसकी स्क्रिप्ट, निर्देशन पर निर्भर करेगी। यदि फिल्म मज़ेदार और मनोरंजक हुई, तो यह निश्चित रूप से अक्षय कुमार के लिए एक बड़ा कमबैक हो सकती है और उनकी 'खिलाड़ी' वाली छवि को फिर से मज़बूत कर सकती है। दर्शक निश्चित रूप से अक्षय कुमार को उनकी सहज कॉमेडी करते देखना चाहते हैं, और 'हाउसफुल 5' उनके लिए यही मौका प्रदान कर सकती है।
अक्षय कुमार अभी भी बॉलीवुड के एक बड़े सितारे हैं, लेकिन उन्हें अपनी रणनीति पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है। कम फिल्में करना, स्क्रिप्ट की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना, और दर्शकों की बदलती पसंद को समझना उनके लिए महत्वपूर्ण होगा। 'हाउसफुल 5' एक अवसर प्रदान करती है, लेकिन अक्षय को अपनी आगामी परियोजनाओं के साथ बेहद सावधान रहना होगा ताकि वह अपनी खोई हुई चमक को फिर से हासिल कर सकें और 'खिलाड़ी' के रूप में अपनी विरासत को बनाए रख सकें।