बिहार में सीट शेयरिंग पर क्यों मचा बवाल, NDA और महागठबंधन के लिए क्यों जरूरी है छोटे दलों का साथ?
राजग से जुड़े चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाह, पशुपति पारस आदि दिग्गजों का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। अपने वोटरों के बल पर से राज्य की कई सीटों पर उलटफेर करने की क्षमता रखने हैं। चुनाव के समय ही इनके पास अपनी ताकत दिखाने का मौका होता है। इसलिए ये लोग चुनाव के समय बड़े दलों को अपनी ताकत का अहसास करा रहे हैं। ये दल इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर दे रहे हैं। इनमें कई सीटें भाजपा और जदयू के पास है।
भाजपा और जदयू अपने नाराज साथियों को मनाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। गठबंधन में बड़े सहयोगी दल जदयू और भाजपा 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में क्रमशः 102 और 101 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा 15 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि राजग उसे 15 सीटों से ज्यादा नहीं देना चाहता। चिराग पासवान भी 25 से ज्यादा सीटों पर अड़े हुए हैं। RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा कि सीट बंटवारे पर बातचीत अभी जारी है।
इसी तरह महागठबंधन में भी सीटों पर तकरार जारी है। राजद, कांग्रेस, वीआईपी, जेएमएम और एआईएमआईएम सहित अन्य दलों के बीच कई सीटों को लेकर मंथन जारी हैं। कांग्रेस ने आरजेडी को साफ संदेश दिया है कि किसी भी हाल में 13 अक्टूबर तक सीट बंटवारे का फैसला करने को कहा है। राजद तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार घोषित करवाना चाहते हैं तो मुकेश सहनी की नजर डिप्टी सीएम पद पर है।
इधर लालू यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को साधने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। वे आज दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर सीट शेयरिंग पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। पार्टी ने राज्य में एक मुख्यमंत्री और 3 डिप्टी सीएम का फार्मूला भी पेश किया था। इस पर भी कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक में फैसला हो सकता है।
edited by : Nrapendra Gupta