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Last Modified: गुरुवार, 20 नवंबर 2025 (12:01 IST)

नीतीश कुमार के रिकॉर्ड 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की इनसाइड स्टोरी?

Nitish Kumar's swearing-in ceremony
बिहार की राजधानी पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान आज नीतीश कुमार के रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने का साक्षी बना। शपथ ग्रहण खास इसलिए भी रहा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार बिहार में किसी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के समारोह में शामिल हुए। पीएम मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह के साथ NDA शासित 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और तमाम कई केंद्रीय मंत्री और NDA के सहयोगी दलों के नेता शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। पटना के गांधी मैदान में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में NDA गठबंधन  ने एक तरह से शक्ति प्रदर्शन किया।   

नीतीश कुमार 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बने हुए है। 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार 2025 में 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आखिर क्या कारण है कि नीतीश कुमार के चेहरे पर बिहार की जनता हर बार भरोसा करती है, आइए समझते है?

1-निर्विवाद चेहरा, भ्रष्टाचार का आरोप नहीं- बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 20 साल से काबिज नीतीश कुमार सूबे की सियासत में एक ऐसा निर्विवाद चेहरा है जिस पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं हैं। नीतीश कुमार के साथ उनके परिवार के किसी सदस्य पर भी भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है। इसको दूसरे शब्दों में समझे को सत्ता की काजल की कोठरी में भी नीतीश कुमार की छवि एक बेदाग राजनेता की रही है, इसलिए बिहार की जनता 20 साल से उनके चेहरे पर भरोसा करती आई है। नीतीश कुमार पर आज तक किसी भी उद्योगपति से सांठगांठ का कोई आरोप नहीं लगा है।

2-परिवारवाद की राजनीति से किनारा-नीतीश कुमार उस बिहार में 20 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज है जहां पर परिवारवाद की राजनीति हावी है। नीतीश भले ही 20 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो लेकिन उनके बेटे आज भी सकिय राजनीति से दूर है। इसके साथ ही नीतीश कुमार के फैसले और उनके निर्णय में  उनके परिवार के किसी भी सदस्य का कोई भी भूमिका नहीं है।

3-नीतीश के चेहरे पर जनता का भरोसा- 2005 से लेकर 2025 तक बिहार के हर चुनाव किसी पार्टी या गठबंधन के दम पर नहीं बल्कि नीतीश के चेहरे के दम पर लड़ा गया है और बिहार ने नीतीश के चेहरे को चुना है। नीतीश भाजपा के साथ-साथ बीच में 17 महीने तक आरजेडी के साथ सत्ता में रहे लेकिन अपने चेहरे की विश्वसनीयता बना कर रखा।  

4-बिहार में सुशासन का चेहरा-नीतीश कुमार 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब बिहार में अपराध का बोलबाला था जिसे जंगलराज कहा जाता था, इसके साथ बिहार उस वक्त जातीय संघर्ष की आग में जल रहा था। लेकिन नीतीश कुमार के 20 साल के शासन काल में धार्मिक या जातीय दंगे नहीं हुए। इसके साथ नीतीश कुमार कहते है कि वो दौर गुज़र चुका है। इसके साथ यह भी दिलचस्प है कि अगर आज बिहार में 20 साल पहले के राजद शासन के लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर चुनाव होते हैं तो इसे नीतीश की कामयाबी माना जा सकता है।

भरोसा बिहार का नीतीश पर और नीतीश का बिहार पर जो निवेश, रोजगार और पलायन जैसे भारी नाकामियों पर भी हर बार भारी पड़ता है क्योंकि सबको लगता है कि अगर सुधार आया भी तो नीतीश से ही संभव है।

5-आधी आबादी की नीतीश के प्रति भरोसा-इसके साथ नीतीश कुमार ने बिहार में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपने फैसले से देश को नई राह दिखाई है। उन्होंने साइकिल योजना, पंचायत चुनावों से लेकर सरकारी नौकरियों तक में महिलाओं को आरक्षण प्रतिशत में बिहार देश में सबसे आगे है। इस बार भी विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए नगर ट्रांसफर किए वह गेमचेंजर साबित हुआ।

6-गठबंधन सरकार चलाने में महारत- 20 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नीतीश कुमार की पार्टी को कभी अकेले दम पर विधानसभा में बहुमत नहीं मिला। नीतीश कुमार को गठबंधन की सरकार चलाने में महारत हासिल है। नीतीश की पार्टी को आज तक अकेले अपने दम बहुमत नहीं मिला लेकिन गठबन्धन को अपनी शर्तों पर चलाने की अद्वितीय महारत हासिल है।
 
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