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Last Modified: गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019 (11:15 IST)

गुजरात में एक केंद्र शासित प्रदेश का शोर क्यों?

Union Territory of Gujarat | गुजरात में एक केंद्र शासित प्रदेश का शोर क्यों?
(जय मकवाना और हरिता कांडपाल, बीबीसी गुजराती)
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज (31 अक्टूबर) सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचे। इसी दिन गुजरात में सरदार सरोवर बांध के पास केवड़िया में स्थित इस 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के लोकार्पण का 1 साल भी पूरा हो रहा है। इसके साथ ही पीएम मोदी केवड़िया कॉलोनी के आसपास कुछ परियोजनाओं का भी शुभारंभ करेंगे।
 
लेकिन मीडिया में इस तरह की ख़बर है कि पीएम केवड़िया कॉलोनी को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा कर सकते हैं या बाद में ऐसा हो सकता है। इन्हीं ख़बरों ने केवड़िया कॉलोनी में और उसके आसपास रहने वालों में भ्रम पैदा कर दिया है।
ज़मीन खोने का डर
 
यहां रहने वाले एक शख़्स दिलीपभाई ने बीबीसी से बात करते हुए अपनी इन्हीं चिंताओं के बारे में बताया। दिलीपभाई श्रेष्ठ ने भारत भवन के निर्माण में अपनी ज़मीन खो दी।
 
उन्होंने कहा कि हमें विशेष दर्जा नहीं चाहिए। हम नहीं चाहते कि केवड़िया को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए या विशेष दर्जा दिया जाए, लेकिन हमें सुनता कौन है? ये उनकी सरकार है और वो जो चाहें कर सकते हैं। हमारी ज़मीन जबरन छीन ली गई और उस पर निर्माण कार्य चल रहा है। हमारी रोज़ी-रोटी दांव पर है।
 
यहां लोगों को डर है कि अगर केवड़िया और उसके आसपास का इलाक़ा सीधे केंद्र सरकार के तहत आता है तो वो अपनी ज़मीन खो सकते हैं। इसी तरह का डर ज़ाहिर करते हुए दिलीपभाई कहते हैं कि 'विशेष दर्जे के बाद वो कोई भी ज़मीन अधिग्रहण कर सकते हैं।
 
दिलीपभाई का आरोप है कि पीएम मोदी के 'राष्ट्रीय एकता दिवस' मनाने को लेकर इलाक़े में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए जा रहे हैं। इसके चलते आसपास के गांवों के कई आदिवासी अपनी रोज़ी-रोटी खो चुके हैं। दिलीपभाई की ज़मीन भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास 'बेस्ट भारत भवन' के निर्माण के लिए अधिग्रहीत की गई है। उन्होंने बताया कि उन्हें इसके एवज़ में 40-45 किमी दूर ज़मीन दी जा रही थी, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इंकार कर दिया। दिलीपभाई कहते हैं, 'हम अपनी ज़मीन नहीं देंगे।
 
इन आदिवासियों के बीच काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता लखन मुसाफिर ने बीबीसी गुजराती को बताया कि यहां पर केंद्र शासित प्रदेश बनने को लेकर काफ़ी चर्चा हो रही है। लखन मुसाफिर कहते हैं, 'पिछले 5 सालों से ऐसी कई अटकलों के बारे में सुन रहे हैं। चाहे जो भी वजह हो लेकिन हम नहीं चाहते कि केवड़िया कॉलोनी के लिए केंद्र शासित प्रदेश या विशेष दर्जा घोषित किया जाए।'
 
'क्या सरकार हमारी ज़मीन लेना चाहती है या यहां लगे प्रतिबंध हटाना चाहती है? हमारी ज़मीन पहले ही ले ली गई है। हमारी रोज़ी-रोटी छीन ली गई है। अब वो लोग हमें यहां से दूर भेजना चाहते हैं? क्या बाहर की कंपनियों को हमारी ज़मीन दी जा रही है? कई इमारतें बन रही हैं लेकिन इससे स्थानीय आदिवासियों को क्या फ़ायदा है?'
 
मुसाफिर कहते हैं, 'असीमित शक्तियों के साथ सरकार कुछ भी कर सकती है, लेकिन हम अपनी ज़मीन कभी नहीं देंगे। क्या यहां के लोग एक रुकावट हैं?' यहां तक कि आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले आनंद मज़गांवकर कहते हैं कि यहां का आदिवासी समुदाय चिंता में है। बीबीसी गुजराती को उन्होंने बताया कि 'सरकार ऐसा कोई क़दम उठा सकती है, इस तरह की अटकलों ने आदिवासी समुदाय में नाराज़गी पैदा कर दी है।
 
पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र अधिनियम (पेसा) के मुताबिक इसके लिए सरकार को पहले ग्रामसभा से इजाजत लेनी होगी। ये अधिनियम आदिवासियों को विशेष शक्तियां देता है। क्या सरकार केंद्र शासित प्रदेश या विशेष दर्जे के ज़रिए इस अधिनियम को ख़त्म करना चाहती है?'
 
'सरकार के इस कदम का विरोध करने के लिए ग्रामसभा ने पिछले दिसंबर से 3 या 4 बैठकें की हैं। फिर भी क्यों सरकार इस कदम पर विचार कर रही है?' आनंद मज़गांवकर ने पूछा, 'इस इलाक़े को केंद्र शासित प्रदेश बनाने या विशेष दर्जा देने की ज़रूरत क्यों है? क्या स्थानीय लोग सरकार के लिए एक बाधा की तरह हैं?'
 
क्या कहती हैं मेधा पाटकर?
 
उन्होंने कहा, 'हम ये जानना चाहते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर को कौन-सी 30 परियोजनाओं का उद्घाटन करना चाहते हैं। हाईकोर्ट ने स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के आसपास के गांवों जैसे केवड़िया, कोठी, नवगाम और अन्य गावों के खेतों से नई सड़क बनाने पर रोक लगाई है। इन गांवों की फसलों के बीच से सड़क बनाना इस रोक के ख़िलाफ़ है।'
 
मेधा पाटेकर कहती हैं कि 'यहां पर पेसा लागू है, तो ग्रामसभा की अनुमति के बिना कुछ भी करना गैरक़ानूनी है। अगर पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर यहां के 72 गांवों को बर्बाद किया गया, तो लोग सरकार को कभी माफ़ नहीं करेंगे। अगर विपक्ष इस मुद्दे को नहीं उठाता है तो ये माना जाएगा कि पार्टियां आदिवासियों का पक्ष नहीं ले रही हैं।'
 
क्या केवड़िया को विशेष दर्जा मिलेगा?
 
हालांकि, गुजरात सरकार ने केवड़िया को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की किसी भी योजना से इंकार किया है। गुजरात के मुख्य सचिव जेएन सिंह ने कहा कि ये मीडिया रिपोर्ट्स बिना किसी आधार के हैं।
 
अंग्रेज़ी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' में एक रिपोर्ट दी गई थी जिसके मुताबिक केवड़िया को विशेष दर्जा दिया जाएगा। इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी बनने से केवड़िया के आसपास पर्यटन में बढ़ोतरी हुई है और इसके बेहतर प्रबंधन के लिए ऐसे क़दम पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया था कि केवड़िया को मौजूदा ग्राम पंचायत से अलग किया जाएगा।
 
'इंडियन एक्सप्रेस' ने जेएन सिंह के हवाले से लिखा था, 'ग्राम पंचायत केवड़िया कॉलोनी की प्रशासनिक ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ है। यहां चीजें आसान करने के लिए हम इसे स्पेशल ज़ोन बनाने पर काम कर रहे हैं।' इस रिपोर्ट में नर्मदा के जिला कलेक्टर और स्टैचू ऑफ़ यूनिटी के सीईओ आईके पटेल से भी बात की गई है।
 
आईके पटेल के हवाले से लिखा गया है, 'केवड़िया कॉलोनी में सफाई और पानी की आपूर्ति जैसी बुनियादी नागरिक जरूरतों को ग्राम पंचायत पूरा नहीं कर सकती। सरकार ज़ल्द ही केवड़िया कॉलोनी के लिए एक अलग निकाय बनाने पर फैसला लेगी।'
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