चार बीजेपी शासित राज्यों में फ़िल्म पद्मावत की रिलीज़ पर लगा बैन सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हटा दिया है। मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा की बीजेपी सरकार ने फ़िल्म पद्मावत पर बैन लगाया था। हालांकि फ़िल्म को सेंसर बोर्ड ने कुछ बदलाव के साथ हरी झंडी दिखाई थी, जिसके बाद फ़िल्म का 25 जनवरी को रिलीज़ होना तय हुआ है।
'पद्मावत' का विरोध करने वालों में करणी सेना का नाम सबसे ऊपर है। सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को 'पद्मावत' को रिलीज़ करने का आदेश देने के बाद करणी सेना की क्या प्रतिक्रिया है? बीबीसी संवाददाता मोहनलाल शर्मा ने करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र काल्वी से यही जानने की कोशिश की।
पढ़िए, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर क्या बोले लोकेंद्र काल्वी?
हम जनता की अदालत में पहले ही गए हुए हैं। जिस दिन पद्मावत फ़िल्म रिलीज़ होगी, उस दिन हम फ़िल्म के ख़िलाफ जनता कर्फ्यू लगाएंगे। देश के सभी सिनेमाघरों में खून से लिखे ख़त मिलेंगे कि ऐतिहासिक तथ्यों से तोड़-मरोड़ में आप सहयोगी न बनें। पिछली बार फ़ना, जोधा-अक़बर फ़िल्म के दौरान गुजरात और राजस्थान में जनता कर्फ्यू लगा था।
हमें पद्मावत फ़िल्म से पहले और अब भी दिक्कत ही दिक्कत है। जब सरकारें इसे बैन नहीं कर रही थीं, तब भी और जब इसे बैन कर दिया गया, तब भी। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की हमें विवेचना करने दीजिए। शुक्रवार को इस बारे में हम मुंबई में एक मीटिंग रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट पर हमें अविश्वास नहीं है।
बॉम्बे, इलाहाबाद और राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ और कहा है। तीनों कोर्ट कुछ और बात करती हैं और सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और कहा है। हमारा स्टैंड तब भी वही था, आज भी वही है। जनता कर्फ्यू लगाएगी और पद्मावत फ़िल्म को रिलीज़ नहीं होने दिया जाएगा। मैंने पद्मावत फ़िल्म नहीं देखी है लेकिन पद्मावती के परिवार अरविंद सिंह, कपिल कुमार, चंद्रमणि सिंह ने फ़िल्म देखी है। इन तीनों ने कहा है कि फिल्म रिलीज़ नहीं होनी चाहिए।
'वो अलाउद्दीन खिलजी ही रहता है'
पद्मावती से आई हटाकर नाम पद्मावत कर देने से कुछ नहीं होता। वो पद्मावती, जौहर, और चित्तौड़ ही रहता है। वो अलाउद्दीन खिलजी ही रहता है। जायसी का पद्मावत फैंटेसी नहीं, इतिहास है। भंसाली की बात पर यकीन किया जा रहा है, मुझे इस पर आश्चर्य है।
मैं किसी ईट, पत्थर, गधे, घोड़े और उल्लू पर यकीन कर सकता हूं लेकिन संजय लीला भंसाली पर यकीन नहीं कर सकता। पद्मावत फ़िल्म पर आप और हम कोई फैसला न दे तो ही अच्छा रहेगा। ये जनता फ़ैसला करेगी।
आप पहले हुई रिलीज़ फ़िल्में जोधा अकबर और फ़ना को देख लीजिए। राजस्थान में जोधा अकबर और गुजरात में फ़ना नहीं चली। ये दोनों फ़िल्में भी सुप्रीम कोर्ट से आदेशित और सेंसर बोर्ड से पास थीं।
लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजरात में फिल्म लगने से रोक दी। राजस्थान में जोधा अकबर हमने रोक दी। अब भी प्रधानमंत्री से- सिनेमाटोग्राफी एक्ट के सेक्शन 6, जो उनको ताकत देते हैं कि सेंसर बोर्ड से पास और सुप्रीम कोर्ट भी उसमें दखल न दें। ऐसी व्यवस्था केंद्रीय कैबिनेट के पास है।
अगर फिल्म रिलीज नहीं होगी तो क्या हो जाएगा। हमारी भावनाएं कुछ नहीं हैं?