न्यूयॉर्क में ब्रुकलिन के सबवे स्टेशन में गोलीबारी, चश्मदीदों ने बताया क्या हुआ था
अमेरिका में न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन के एक सबवे स्टेशन में हुई गोलीबारी में कम से कम 16 लोग घायल हुए हैं।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक़, सनसेट पार्क में 36वें स्ट्रीट स्टेशन में स्थानीय समयानुसार मंगलवार सुबह 8:30 बजे गोलीबारी हुई। घटनास्थल की तस्वीरों में स्टेशन के फ़र्श पर यात्री ख़ून में लथपथ पड़े हैं।
संदिग्ध हमलावर की तलाश जारी है। उसकी पहचान के बारे में कुछ चश्मदीदों ने बताया है कि उसने नारंगी रंग की कंस्ट्रक्शन वेस्ट और संभावित रूप से गैस मास्क पहना था। माना जा रहा है कि वो घटनास्थल से भाग गया था। हमलावर का क्या उद्देश्य था यह अभी तक साफ़ नहीं है।
एनबीसी न्यूज़ ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि सुबह को जब भीड़ का समय था तब संदिग्ध हमलावर ने स्मोक बम फेंका जिससे लोगों में अफ़रा-तफ़री मच गई।
इस घटना में 10 लोगों को गोली लगी है जिनमें से 5 की हालत गंभीर है और स्थिर बनी हुई है। इनके अलावा लोग धुएं के कारण और भगदड़ में भी घायल हुए हैं।
न्यूयॉर्क सिटी के मेयर एरिक एडम्स के प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क के लोगों से अपील की है कि वो अपनी 'सुरक्षा का ख़याल रखते हुए इलाक़े से दूर रहे हैं।' कम से कम चार ट्रेन लाइनों पर दोनों दिशाओं में भी देरी हुई है।
चश्मदीदों ने क्या देखा
सैम कारकामो ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि मेरे सबवे (ट्रेन) का दरवाज़ा एक भयंकर आपदा की ओर खुला। हर तरफ़ धुआं फैला हुआ था और लोग चीख़ रहे थे। उन्होंने बताया कि जैसे ही दरवाज़ा खुला तो ट्रेन से धुएं का गुबार निकलना शुरू हो गया।
एक दूसरी चश्मदीद क्लेयर ने न्यूयॉर्क पोस्ट से कहा कि कितनी गोलियां चलाई गईं उसकी गिनती भी वो भूल गई थीं। उन्होंने बताया कि संदिग्ध ने पहले 'किसी तरह का सिलेंडर फेंका', शुरुआत में ऐसा लगा कि वो एक सबवे का कर्मचारी है क्योंकि उसने नारंगी रंग का वेस्ट पहना हुआ था।
न्यूयॉर्क के दमकल विभाग ने बीबीसी को बताया है कि उसे स्टेशन से धुआं उठने की कॉल मिली थी। लेकिन जब अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्हें वहां घायल लोग मिले।
पुलिस ने बताया है कि उसे स्टेशन के अंदर कोई सक्रिय विस्फोटक डिवाइस नहीं मिली है। हालांकि पहले ऐसी ख़बरें थीं कि वहां पर सक्रिय विस्फोटक डिवाइस पाए गए हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन और अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड को घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। बीते दो सालों से अमेरिका के कई शहरों में बंदूक़ों के ज़रिए हिंसा में काफ़ी तेज़ी देखी गई है।