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Last Updated : गुरुवार, 30 मई 2019 (08:59 IST)

मोदी के शपथ समारोह में इमरान को नहीं बुलाने पर पाकिस्तान में बहस

मोदी के शपथ समारोह में इमरान को नहीं बुलाने पर पाकिस्तान में बहस - Debate in Pakistan, Why Modi not invited Imran
अभिमन्यु कुमार साहा, बीबीसी संवाददाता
लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी 30 मई को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। गुरुवार की शाम राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आठ हजार मेहमानों के शिरकत होने की बात कही जा रही है।
 
यह पहली दफा है जब किसी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में इतनी बड़ी संख्या में मेहमान शामिल हो रहे हैं। समारोह में भारत और छह अन्य देशों के संगठन बिमस्टेक के सभी देशों - नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड - के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहेंगे। इनके अलावा मॉरिशस और किर्गिस्तान के भी राष्ट्राध्यक्ष शपथ समारोह में आएंगे। मगर इस बार भारत ने अपने पड़ोसी पाकिस्तान को न्योता नहीं भेजा है। हालांकि पाकिस्तान में ऐसी उम्मीदें थीं कि वो भी भारत के इस बेहद ख़ास पल का गवाह बनेगा।
 
पाक मीडिया में जीत के बाद से ही न्योते पर हो रही थी चर्चा
पुलवामा हमले और बालकोट एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ी है और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हर चुनावी रैली में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया था।
 
हालांकि चुनावों में उनकी प्रचंड जीत के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस लहजे में उन्हें जीत की बधाई दी थी, उसके बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि हो सकता है कि पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी के राज्याभिषेक के मौके पर पाकिस्तान को बुलाया जा सकता है। इतना ही नहीं इमरान खान ने चुनावों से पहले कहा था कि अगर भारत के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत होती है और नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनते हैं तो शांति वार्ता की संभावना ज्यादा रहेगी।
 
विदेशी पत्रकारों से बातचीत में इमरान ने कहा था कि बीजेपी दक्षिणपंथी पार्टी है और वो जीतती है तो कश्मीर को लेकर बातचीत आगे बढ़ सकती है। मोदी की जीत के बाद पाकिस्तान की मीडिया में इस बात पर बहस हो रही थी कि निमंत्रण मिलने पर प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत जाना चाहिए या नहीं।

पाकिस्तान की समा टीवी के न्यूज डिबेट में एंकर विश्लेषक से सवाल करती है, 'अगर न्योता दिया जाता है तो इमरान खान को भारत जाना चाहिए?'
 
विश्लेषक कहते हैं, 'मेरे ख्याल में जरूर जाना चाहिए। इमरान खान को मैं मुबारकबाद देता हूं। उनकी ख्‍वाहिश ये थी और उसका इन्होंने इजहार किया था कि अगर नरेंद्र मोदी दोबारा चुने जाते हैं तो रिश्ते बेहतर हो जाएंगे। उन्होंने नरेंद्र मोदी की जीत पर संदेश भी भेजा था।' वहीं दूसरे विश्लेषक कहते है, 'वो न भी जाएं तो बहुत फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि समारोह में कोई बातचीत तो होगी नहीं।' 'हां, अगर बातचीत के लिए विशेष तौर पर बुलाया जाता है तो परिणाम बेहतर निकलेंगे। क्योंकि जब इमरान खान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था, तो नरेंद्र मोदी नहीं आए थे।'
 
न्योते पर सियासत गर्म
भारत के इस कदम से पाकिस्तान की सियासत भी गरमा गई है। अपने राष्ट्राध्यक्ष को नहीं बुलाए जाने पर पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया आई है, जिसमें वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने न्योते की उम्मीद को बेवकूफी बताया।
 
उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, 'भारत का पूरा चुनाव प्रचार पाकिस्तान पर केंद्रित था। ऐसे में शप थग्रहण समारोह में उनसे न्योते की उम्मीद नहीं की जा सकती। उनसे न्योते की उम्मीद करना बेवकूफी है।'
 
साल 2014 के मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ भी शामिल हुए थे। इस बार नहीं बुलाए जाने पर नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने इसे पाकिस्तान की बेइज्जती बताया है और इसके लिए प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया है।
 
मरियम शरीफ ने कहा, 'इस मुल्क (पाकिस्तान) में इस वक्त निकम्मी सरकार है। इसे इसलिए नहीं बुलाया जाता है कि कहीं ये (भारत से) पैसे न मांग ले।'
 
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हालिया एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए मरियम कहती हैं कि मोदी ने इमरान खान के फोन का जवाब भी नहीं दिया था। मरियम ने कहा कि यह वही मोदी हैं जो नवाज शरीफ के समय में भारत आए थे। अब मोदी इमरान खान का फोन भी नहीं उठाते हैं। आप (इमरान ख़ान) चोरी से सत्ता में आए हैं। आप कठपुतली हैं, दूसरों के इशारों पर नाचते हैं यही कारण है कि दूसरे देश आपकी इज्जत नहीं करते हैं।
 
अखबार की सलाहः पाक गंभीरता से करे विचार
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने भी इस पर चिंता जाहिर की है और पाकिस्तानी सरकार को अपने रवैये पर पुनः विचार करने का सुझाव दिया है।
 
अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी सही हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भारत की तरफ से न्योता नहीं दिया गया है क्योंकि यह देश की आंतरिक राजनीति से जुड़ा मुद्दा है।
 
अखबार लिखता है, 'चुनाव के दौरान मोदी पाकिस्तान को कोसते रहे। उनका सर्जिकल स्ट्राइक का ड्रामा उन भारतीयों पर असर छोड़ने में कामयाब रहा जो उनके काम से खुश नहीं थे।'
 
'जैसा शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि यह हमारी नासमझी हो सकती है अगर हम यह सोचें कि नरेंद्र मोदी अपने राज्याभिषेक से पहले पाकिस्तान विरोधी छवि से बाहर आ जाएंगे।'
 
'शांति की पहल में भारत के उदासीन रवैये को नजरअंदाज करने के लिए हमें कब तक विनम्र रहना होगा? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी हमारी बढ़ती परेशानियों का उन्हें अच्छा अंदाजा है, ऐसे में क्या मोदी से यह उम्मीद की जा सकती है कि वो हमारे साथ पूरी गंभीरता से शांति वार्ता करेंगे?'
 
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून आगे लिखता है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की तरफ से सद्भावना के संदेश दिए जा रहे हैं, क्या उसका कोई महत्व है? ऐसा क्या है जो भारतीय प्रधानमंत्री को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर करेगा? खैर।।। पाकिस्तान को इन सवालों के जवाब खोजने के लिए गंभीर विचार करना होगा।
 
पाक मीडिया की उम्मीद
समा टीवी के एक और कार्यक्रम में यह कहा गया कि नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण में कौन-कौन आएगा ये नहीं मालूम, पर कौन नहीं आएगा ये मालूम है। भारतीय मीडिया कह रहा है कि इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को नहीं बुलाया जाएगा।
 
एंकर की घोषणा के बाद विश्लेषक टीवी स्क्रीन पर आते हैं और कहते हैं, नवाज़ शरीफ ने जब मनमोहन सिंह को बुलाया था तब वो नहीं आए थे और जब नवाज शरीफ को बुलाया गया तो वो भागे-भागे चले गए। अगर वो (भारत) दुनिया को यह बताना चाह रहे हैं कि वो पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करेंगे तो वो जरूर दावत देंगे, लेकिन दूसरी तरफ मोदी की ख़्वाहिश है कि पाकिस्तान को बहुत ज्यादा प्रेशर में रखा जाए।
 
अगर वो इसी नीति से चलते हैं, फिर तो वो निमंत्रण भेजेंगे ही नहीं, अगर भेजेंगे और इमरान ख़ान जाते हैं तो उनसे सख़्त लहजे में बात करेंगे। तो मेरा ख्याल है रिश्ते सुधरने के बजाए और बिगड़ जाएंगे। इसके बाद एंकर कहती हैं कि अब तो चुनाव भी ख़त्म हो गए हैं, दोनों देशों के बीच तनाव कम होना चाहिए।
 
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया का नजरिया
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को नहीं बुलाए जाने की चर्चा है। गल्फ न्यूज़ लिखता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को न बुलाने का फैसला उन्हें तकलीफ दे सकता है क्योंकि जब से इमरान प्रधानमंत्री बने हैं, वो शांति वार्ता चाहते हैं।
 
यह संभवतः आख़िरी उम्मीद थी जो इमरान खान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर रहे थे। नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए बुलाया था। सेना की मर्जी के ख़िलाफ़ वो उस समारोह में शामिल होने भी गए थे।
 
गल्फ न्यूज लिखता है कि चूँकि मोदी की जीत हुई है, इसलिए इमरान के उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का यह अच्छा कारण था। मोदी को इमरान खान को बुलाना चाहिए था क्योंकि यह दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का एक शानदार अवसर होता।
 
मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में इमरान की उपस्थिति दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती। इससे मोदी को अपने देश के शांति प्रयासों के बारे में दुनिया को एक सकारात्मक संदेश भेजने में मदद मिलती। हालांकि भारतीय मीडिया इसे दूसरे नज़रिये से देखता है।
 
राजस्थान पत्रिका के संपादकीय पन्ने पर एक लेख छपा है, जिसमें लिखा गया है, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मई के शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के अलावा किर्गिस्तान और मॉरिशस को आमंत्रित किया गया है।'
 
बिम्सटेक देशों को शामिल करने का उद्देश्य पाकिस्तान को समारोह से दूर रखना है तो किर्गिस्तान को आमंत्रण का कारण शंधाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन में भारत की उपस्थिति मजबूत करना है। अभी किर्गिस्तान के नेता इसके प्रमुख हैं और रूस, उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन और पाकिस्तान इसके सदस्य हैं। भारत 2017 में पाकिस्तान के साथ ही इसका सदस्य बना था।
 
कौन-कौन होंगे शामिल
- श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना
- बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद
- भूटान के प्रधानमंत्री लोते त्शेरिंग
- नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली
- म्यांमार के राष्ट्रपति विन मिन्त
- थाईलैंड के प्रधानमंत्री के विशेष दूत
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द जगन्नाथ
- किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सूरनबे जीनबेकोव
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