पृथ्वी के करीब आएगा 'नेपच्यून'
दूसरी खगोलीय घटना आज
खगोलीय घटनाओं के अंतर्गत सौरमंडल का अंतिम एवं तीसरा सबसे बड़ा ग्रह वरुण (नेपच्यून) आज शाम पृथ्वी के बहुत नजदीक होगा। आठवें क्रमांक के सूर्य से चार अरब 50 करोड़ किमी दूर नेपच्यून को आमतौर पर बड़े टेलीस्कोप से देख पाना भी मुश्किल होता है, लेकिन 20 अगस्त की रात्रि नेपच्यून पर वैज्ञानिक अवलोकन करना संभव हो सकेगा।वराह मिहिर वैज्ञानिक धरोहर एवं शोध संस्थान के खगोल वैज्ञानिक संजय केथवास ने बताया कि नेपच्यून ग्रह को सौरमंडल के मुखिया सूर्य की एक परिक्रमा लगाने में 165 वर्ष लगते हैं। जबकि पृथ्वी तेजी से सूर्य की परिक्रमा लगाते हुए प्रति वर्ष अगस्त एवं सितंबर माह में नेपच्यून ग्रह के नजदीक से गुजरता है। सौरमंडल परिवार का सबसे बड़ा ग्रह नेपच्यून यानी वरुण इस माह होने वाली दूसरी खगोलीय घटना के तहत आज पृथ्वी के सबसे करीब नजर आएगा। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार सौरमंडल परिवार के मान्य आठ ग्रहों में से आठवें नंबर पर आने वाला नेपच्यून प्रति वर्ष पृथ्वी के पास से गुजरता है। नेपच्यून ग्रह आमतौर पर वर्ष में एक बार कुछ दिनों तक ही दिखाई देता है। वह आज नीले रंग की छोटी गेंद की तरह अत्यंत सुंदर दिखाई देगा। लेकिन इसे टेलीस्कोप के माध्यम से ही देखा जा सकता है।
केथवास ने बताया कि नेपच्यून ग्रह जब सूर्य के दूसरी ओर रहता है तब उसकी पृथ्वी से अधिकतम दूरी चार अरब 65 करोड़ किलोमीटर होती है और आज नेपच्यून की सूर्य से दूरी 30 करोड़ किलोमीटर कम हो जाएगी। इस दौरान सूर्य की एक तरफ नेपच्यून ग्रह और पृथ्वी रहेंगे। नेपच्यून ग्रह तरल हाईड्रोजन गैस का गोला है और शनि ग्रह की तरह इसका भी वलय होता है। इस ग्रह की पतली रिंग होती है। लेकिन वह टेलीस्कोप के द्वारा भी देखी नहीं जा सकती है। नेपच्यून पर आँकड़े जुटाने के लिए वैज्ञानिक वर्षभर इस समय का इंतजार करते हैं। नीले रंग का अत्यंत सुंदर नेपच्यून ग्रह 20 अगस्त को पृथ्वी के नजदीक होने के बावजूद अंतरिक्ष में इतना दूर है कि उसे सिर्फ शक्तिशाली टेलीस्कोप की मदद से ही देखा जा सकता है। यह सूर्यास्त के बाद पूर्व दिशा में उदित होगा और रात भर गहरे अंतरिक्ष में अपनी चमक बिखेरता रहेगा, लेकिन हम उसे कोरी आँखों से नहीं देख सकेंगे। इसके लिए टेलीस्कोप का होना आवश्यक है। साथ ही मौसम साफ होना जरूरी है।