कहा गया है कि 'शिव समान दाता नहीं'। यह नितांत सत्य है। सिर्फ आवश्यकता है हृदय से सेवा-साधना करने की। विशेषता यह है कि शिव की प्रसन्नता मात्र 1 लोटा जल चढ़ाने से प्राप्त की जा सकती है। इतना सरल तथा सस्ता कोई विधान व देव नहीं है।
ग्रह दोष का निवारण निम्नलिखित तरीके से दूर किया जा सकता है-
1. सूर्य की बाधा के लिए- अर्क पुष्प तथा बिल्व पत्र से अर्चन करें।
2. चन्द्र की बाधा के लिए- दुग्ध से अभिषेक तथा श्वेत पुष्प से अर्चन करें।
3. मंगल के दोष के लिए- गुड़ के जल या गिलोय के रस से अभिषेक करें तथा रक्तवर्ण के पुष्प चढ़ाएं।
4. बुध के दोष के लिए- विद्यापरा के रस से अभिषेक करें तथा बिल्वपत्र चढ़ाएं।
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5. बृहस्पति के दोष दूर करने के लिए हरिद्रा मिश्रित दुग्ध से अभिषेक करें तथा पुष्प चढ़ाएं।
6. शुक्र संबंधी बाधा दूर करने के लिए पंचामृत से अभिषेक करें तथा श्वेत पुष्प चढ़ाएं।
7. शनि की पीड़ा दूर करने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें तथा नीले पुष्प चढ़ाएं।
8. राहु-केतु की शांति के लिए भांग-मिश्रित जल या दुग्ध से अभिषेक तथा धतूरा चढ़ाएं।
इसी प्रकार वित्तवृद्धि के लिए शहद, शत्रु शांति के लिए सरसों के तेल, व्याधि नाश के लिए गौ-दुग्ध से बने छाछ, सुख-समृद्धि के लिए गौ-दुग्ध, ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए गन्ने के रस तथा शांति के लिए तीर्थ जल से अभिषेक कर सकते हैं।
पूर्ण लाभ लेने के लिए पूरे मास पूजन करें, यथाशक्ति जप करें, अनुष्ठान के नियमों का पालन करें। यदि संभव हो तो विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूजन कराएं। कम से कम सोमवार को जरूर करवाएं।