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आज भी प्रासंगिक है भर्तृहरि का यह नीति वाक्य

आज भी प्रासंगिक है भर्तृहरि का यह नीति वाक्य। The Satakas of Bhartrihari - The Satakas of Bhartrihari
भर्तृहरि नीति शतक में लगभग 110 श्लोक हैं, उन सभी का खास महत्व है। भर्तृहरि का निम्न श्लोक वर्तमान परिस्थिति को दर्शाता है। आइए जानें...

'दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । 
यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥
 
धन की यह तीन गति होती हैं - दान, भोग और नाश.. लेकिन जो न तो धन को दान में देता है और न ही उस धन का भोग करता है, उसके धन की तीसरी गति तो निश्चित है.....!

वर्तमान परिस्थिति में यह पंक्तियां प्रासंगिक हैं।

 
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