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Last Updated : गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022 (16:24 IST)

प्रदोष व्रत : सोम प्रदोष पर है पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग, शिव पूजा में शामिल करें ये 5 चीजें, धन के भर जाएंगे भंडार

प्रदोष व्रत : सोम प्रदोष पर है पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग, शिव पूजा में शामिल करें ये 5 चीजें, धन के भर जाएंगे भंडार - Som Pradosh 2022
Som Pradosh 2022: 14 फरवरी 2022 सोमवार को प्रदोष व्रत (शुक्ल) रखा जाएगा। इसके बाद 28 फरवरी सोमवार को सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण) रखा जाएगा। सोमवार के आने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष कहते हैं। इस बार 14 फरवरी सोमवार को पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग है। सोमवार भी शिवजी का दिन है और प्रदोष भी। इस दिन शिव पूजा का खास महत्व है। पूजा में शामिल करें ये 5 चीजें तो धन के भर जाएंगे भंडार।
 
 
शुभ संयोग : 14 फरवरी सोमवार सोम प्रदोष के दिन पुनर्वसु सुबह 11:53 तक रहेगा इसके बाद पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होगा। इस दिन आयुष्मान योग के बाद सौभाग्य योग रहेगा। सर्वार्थसिद्धि योग दिनभर रहेगा।
 
शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:50 से 12:35 तक।
अमृत काल मुहूर्त : सुबह 09:14 से 11:00 तक। 
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:05 से 02:50 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:40 से 06:04 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 05:51 से 07:07 तक।
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:47 से 12:37 तक।
 
शिवजी की पूजा में शामिल करें ये 5 चीजें :
 
1. बिल्वपत्र : शिवजी को बिल्वपत्र प्रिय है। इसे शिवजी को अर्पित करने से अनंत गुना फल मिलता है और धनलाभ होता है। 
 
2. धतूरा : धतूरा एक औषधि है जिसे शिवजी को अर्पित करने से वे बेहद ही प्रसन्न होते हैं। 
 
3. आंकड़ा : आंकड़े का फूल भी शिवजी को प्रिय है। इस अर्पित करने से घर में धन समृद्धि बनी रहती है। 
 
4. मीठा दूध : शिवजी को मीठ दूध अर्पित करने से सेहत में लाभ के साथ ही धनलाभ भी होता है। इसे सुख और समृद्धि बढ़ती है। 
 
5. केसर या चावल : शिवजी को केसर अर्पित करने से सौम्यता प्राप्त होती है और साथ ही धनलाभ भी होता है। भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
 
 
दीपक जलाएं : ऐसा मान्यता है कि प्रदोष की रात्रि को किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाने से धन संबंधी सभी तरह की समस्याओं का अंत हो जाता है और अपार धन की प्राप्ति होती है।
 
शिव के मंत्र
 
1. ॐ नमः शिवाय
 
2. नमो नीलकण्ठाय
 
3. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
 
4. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
 
5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
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