शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा गया है। शनि मकर और कुंभ के स्वामी हैं। शनि तुला में उच्च और मेष राशि में नीच भाव में होते हैं। कुंडली में शनि की महादशा 19 वर्ष की होती है। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलते हैं। यह एक राशि से दूसरी राशि में जाने तक ढाई वर्ष का समय लेते हैं। ऐसे में किसी राशि पर शनि की साढ़ेसाती सात साल की होती है।
जिस किसी भी जातक पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आती हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ जिस व्यक्ति के लिए शनि शुभ होता है वह मालामाल हो जाता है।
शनि की साढ़ेसाती किसे कहते हैं?
शनि एक राशि में ढाई वर्षों तक रहता है ऐसे में सभी 12 राशियों के एक चक्कर काटने में उसे 30 साल का समय लग जाता है। शनि का गोचर जब आपकी जन्म कुंडली में बैठे चंद्रमा से बारहवें भाव में हो साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है। शुरु हो गई है। बारहवें भाव में यह ढाई वर्ष तक रहेगा, जो आपकी साढ़े साती का प्रथम चरण होगा। साढ़े साती के दूसरे चरण में शनि आपके लग्न भाव में ढाई साल तक बैठेगा। फिर इसी क्रम में अपने तीसरे और आखिरी चरण में यह आपके दूसरे भाव में ढाई साल तक रहेगा।
क्या होती है शनि की ढैय्या
शनि का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर को ही ढैय्या कहते हैं। जब व्यक्ति की साढ़े साती प्रारंभ होती है तो सबसे पहले उसकी ढैय्या चलती है।
2020 में शनि का गोचर
शनि का गोचर 2020 में धनु राशि से अपनी स्वराशि में यानि मकर में 24 जनवरी को होने जा रहा है। फिर 11 मई 2020 से 29 सितंबर 2020 तक शनि मकर राशि में वक्री अवस्था में गोचर करेगा। इसके बाद शनि 27 दिसंबर 2020 को अस्त भी हो जाएंगे।
साल 2020 में शनि की साढ़ेसाती किस राशि पर
धनु और मकर राशि में पहले से ही शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा था। अब कुंभ राशि पर भी शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरु हो जाएगा। वृश्चिक राशि से शनि की साढ़ेसाती का अंत हो जाएगा।
साढ़ेसाती और शनि ढैय्या दोष दूर करने के उपाय
शनिवार को भगवान शनि की पूजा करें।
शनि स्तोत्र - नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते। नमस्ते विष्णु रूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।। नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते कालकायजे। नमस्ते यम संज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते। प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च। का जप करें।
रोजाना हनुमान चालीसा का तीन बार पाठ करें, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, दशा, अंतर्दशा सभी के बुरे प्रभाव से छुटकारा मिलेगा।
महामृत्युंजय मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव की पूजा करें।
काला चना, सरसों का तेल, लोहे का सामान एवं काली वस्तुओं का दान करें।
शनिवार सरसों या तिल के तेल को शनि देव पर चढ़ाएं।