1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Pithori Amavasya Remedies 2025
Written By WD Feature Desk

Bhadrapada amavasya 2025: भाद्रपद अमावस्या का महत्व, क्यों कहते हैं इसे कुश और पिठोरी, करें 10 अचूक उपाय

Bhadrapada Amavasya 2025
Bhadrapada Amavasya Ke Upay: भाद्रपद अमावस्या, जिसे पिठोरी अमावस्या और कुश गृहिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। इस साल यह तिथि 22 और 23 अगस्त 2025 दोनों दिन रहेगी और यह समय दिन अलग-अलग कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह अमावस्या शनिवार को पड़ने के कारण शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया से बचने के उपाय भी किये जा सकते हैं।ALSO READ: शनि अमावस्या पर करिए ये खास उपाय, हर युक्ति से मिलेगा विशेष लाभ
 
भाद्रपद अमावस्या का महत्व: यह अमावस्या पितृपक्ष से पहले आती है, इसलिए इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से उन्हें शांति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान, उपवास और पूजा-पाठ करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।
 
क्यों कहते हैं 'कुश गृहिणी' और 'पिठोरी' अमावस्या: यह अमावस्या दो अलग-अलग नामों से जानी जाती है, और दोनों का अपना विशेष महत्व है:
 
कुश गृहिणी अमावस्या: इस दिन, वर्ष भर किए जाने वाले सभी धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए कुश घास एकत्र की जाती है। कुश घास को बहुत पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग पूजा में अनिवार्य होता है। चूंकि इस दिन कुश को 'ग्रहण' या इकट्ठा किया जाता है, इसलिए इसे कुश गृहिणी अमावस्या कहते हैं।
 
पिठोरी अमावस्या: यह अमावस्या महिलाओं, विशेषकर माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखी जाती है। इस दिन माताएं पिठोरे यानी आटे के गोल लड्डू बनाकर देवी दुर्गा सहित 64 योगिनियों की पूजा करती हैं। इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहा जाता है।ALSO READ: Bhadrapada amavasya 2025: 22 और 23 अगस्त दोनों दिन रहेगी भाद्रपद अमावस्या, जानें किस दिन क्या करें
 
भाद्रपद अमावस्या पर करें 10 अचूक उपाय: इस पावन दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है:
 
1. पितरों का श्राद्ध और तर्पण: इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
 
2. पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ में देवताओं का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।
 
3. दीपक जलाएं: शाम को पितरों के निमित्त पीपल के पेड़ के नीचे और घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं।
 
4. गंगा स्नान: यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी, विशेषकर गंगा में स्नान करें।
 
5. दान-पुण्य: स्नान के बाद जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र और भोजन दान करें।
 
6. गाय को भोजन: इस दिन गाय को घास या भोजन खिलाना बहुत पुण्य का काम माना जाता है।
 
7. काल सर्प दोष निवारण: यदि कुंडली में काल सर्प दोष है, तो इस दिन इसका निवारण करने के लिए पूजा कराएं।
 
8. शनि देव की पूजा: चूंकि यह अमावस्या शनिवार को है, इसलिए इस दिन शनि देव की पूजा करना विशेष फलदायी है।
 
9. चींटियों को भोजन: चींटियों को आटा या शक्कर खिलाने से पितृ दोष दूर होता है।
 
10. गरीबों को भोजन: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Bhadrapada amavasya 2025: भाद्रपद अमावस्या व्रत, धार्मिक कार्य और पूजा का समय
ये भी पढ़ें
Ganesh Chaturthi 2025: 26 या 27 कब से प्रारंभ होगा गणेश उत्सव, चतुर्थी तिथि और स्थापना मुहूर्त का समय जानें