Bhadrapada Amavasya Ke Upay: भाद्रपद अमावस्या, जिसे पिठोरी अमावस्या और कुश गृहिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। इस साल यह तिथि 22 और 23 अगस्त 2025 दोनों दिन रहेगी और यह समय दिन अलग-अलग कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह अमावस्या शनिवार को पड़ने के कारण शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व होता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैया से बचने के उपाय भी किये जा सकते हैं।
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भाद्रपद अमावस्या का महत्व: यह अमावस्या पितृपक्ष से पहले आती है, इसलिए इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से उन्हें शांति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान-दान, उपवास और पूजा-पाठ करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं।
क्यों कहते हैं 'कुश गृहिणी' और 'पिठोरी' अमावस्या: यह अमावस्या दो अलग-अलग नामों से जानी जाती है, और दोनों का अपना विशेष महत्व है:
कुश गृहिणी अमावस्या: इस दिन, वर्ष भर किए जाने वाले सभी धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों के लिए कुश घास एकत्र की जाती है। कुश घास को बहुत पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग पूजा में अनिवार्य होता है। चूंकि इस दिन कुश को 'ग्रहण' या इकट्ठा किया जाता है, इसलिए इसे कुश गृहिणी अमावस्या कहते हैं।
भाद्रपद अमावस्या पर करें 10 अचूक उपाय: इस पावन दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है:
1. पितरों का श्राद्ध और तर्पण: इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
2. पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ में देवताओं का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।
3. दीपक जलाएं: शाम को पितरों के निमित्त पीपल के पेड़ के नीचे और घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं।
4. गंगा स्नान: यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी, विशेषकर गंगा में स्नान करें।
5. दान-पुण्य: स्नान के बाद जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र और भोजन दान करें।
6. गाय को भोजन: इस दिन गाय को घास या भोजन खिलाना बहुत पुण्य का काम माना जाता है।
7. काल सर्प दोष निवारण: यदि कुंडली में काल सर्प दोष है, तो इस दिन इसका निवारण करने के लिए पूजा कराएं।
8. शनि देव की पूजा: चूंकि यह अमावस्या शनिवार को है, इसलिए इस दिन शनि देव की पूजा करना विशेष फलदायी है।
9. चींटियों को भोजन: चींटियों को आटा या शक्कर खिलाने से पितृ दोष दूर होता है।
10. गरीबों को भोजन: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितर प्रसन्न होते हैं।
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