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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 23 अगस्त 2025 (10:47 IST)

Bhadrapada amavasya 2025: भाद्रपद अमावस्या व्रत, धार्मिक कार्य और पूजा का समय

Bhadrapada amavasya 2025
भाद्रपद कृष्ण अमावस्या 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को सुबह 11:55 मिनट से प्रारंभ होकर 23 अगस्त 2025, शनिवार को सुबह 11:35 मिनट पर समाप्त होगी। इस मान से आज भी अमावस्या का व्रत रखने और पूजा पाठ करने का विधान है। 22 अगस्त को दर्श अमावस्या थी और आज स्नान दान की अमावस्या है। शनिवार होने से इसे शनि अमावस्या कहा जा रहा है। इसलिए इस दिन भी व्रत रखना जरूरी है।
 
पूजा का समय- 
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:58 से 12:49 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:52 से 07:14 तक।
 
1. इस दिन मध्‍यान्ह काल में पितरों को तर्पण करना चाहिए। इसके लिए किसी नदी, जलाशय या कुंड में में जाकर यह विधान करें। 
2. इस दिन प्रातःकाल उठकर सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
3. तर्पण और पिंडदान के बाद किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
4. इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए किसी योग्य पंडित से पूजा-अनुष्‍ठान कराएं।
5. इस दिन शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल का दीपक जलाएं और पितरों को स्मरण करें। पीपल की 7 परिक्रमा लगाएं।
6. अमावस्या शनिदेव का दिन है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा भी करना चाहिए।
7. स्नान और दान: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करने का बहुत महत्व है।
8. गाय को अमावस्या के दिन हरा चारा खिलाएं। 
9. संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए माताएं इस दिन व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा की पूजा करती हैं।
10. इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिये कुशा एकत्रित की जाती है। धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में उपयोग की जाने वाली कुश घास एकत्रित की जाए तो वह पुण्य फलदायी होती है।
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