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जानिए, कौन से 3 विशेष मंगल योग में मनेगा जन्माष्टमी पर्व

जानिए, कौन से 3 विशेष मंगल योग में मनेगा जन्माष्टमी पर्व - Janmashtami Celebration
- ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी 
 
 
 

* बरसों बाद बने हैं इस जन्माष्टमी पर शुभ और पवित्र योग 



 
























इस वर्ष शिक्षक दिवस 5 सितंबर, शनिवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को महाजन्माष्टमी पूरे देश में मनाई जाएगी। ऐसे 3 योग हैं, जो कई वर्षों बाद बने हैं। ज्योतिर्विद एवं कर्मकांडी पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार 26 वर्षों बाद जन्माष्टमी बृहस्पति, सूर्य सिंह संक्रांति में आई है। 20 वर्षों बाद स्मार्त एवं वैष्णवों दोनों संप्रदाय की जन्माष्टमी साथ में आई है तथा 2 वर्षों बाद अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र पूरे दिन आया है तथा अगले महायोग 8 वर्षों बाद 6 सितंबर 2023 में आएंगे।
 
जन्माष्टमी के लिए धर्मसिंधु के अनुसार जो आवश्यक योग माने गए हैं उनमें प्रमुख रूप से अष्टमी तिथि है, जो रात्रि 3.10 मिनट तक रहेगी, रोहिणी नक्षत्र रात्रि 12.10 मिनट तक रहेगा। यह जन्माष्टमी इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि कृष्ण का जन्म भी रात्रि 12 बजे, अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र, उच्च वृषभ राशि में चन्द्र, सिंह का सूर्य, कन्या का बुध, अमृत सिद्धि तथा सर्वार्थ सिद्धि योग में हुआ था, जो कि इस बार भी रहेगा। इन्हीं योगों के कारण बृहस्पति उदय तथा शुक्र मार्गी होने जा रहे हैं।
 
पं. सोमेश्वर जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि जन्माष्टमी को तंत्र की 4 महारात्रियों में से 1 माना गया है जिसमें रात्रि में अष्टमी तथा रोहिणी नक्षत्र का आना अति शुभ माना जाता है। इस बार यह महारात्रि भी इन्हीं योगों में होने के कारण अति शुभ एवं सिद्धिदायक होगी। ये ऐसे योग हैं जिसमें जन्म लेने के कारण सभी राक्षसों एवं कामदेव का रासलीला में अहंकार तोड़ा और जन्म भी दिया। विशेष रूप से इस रात्रि को शनि, राहु, केतु, भूत, प्रेत, वशीकरण, सम्मोहन, भक्ति और प्रेम के प्रयोग एवं उपाय करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।
 
 

ये विशेष उपाय करें : -


 
* ससंकल्प उपवास करें तथा रात्रि में भी भोजन न लें।
 
* काले तिल व सर्व औषधियुक्त जल से स्नान करें।
 
* संतान प्राप्ति तथा पारिवारिक आनंद बढ़ाने के लिए कृष्ण पूजन, अभिषेक कर जन्मोत्सव मनाएं।
 
* धनिए की पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।
 
* इष्ट मूर्ति, मंत्र, यंत्र की विशेष पूजा व साधना करें।
 
* श्री राधाकृष्ण बीज-मंत्र का जप करें।
 
* भक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए गोपाल, कृष्ण, राधा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ व तुलसी अर्चन करें। 
 
* भूत-प्रेत बाधा निवारण, रक्षा प्राप्ति हेतु सुदर्शन प्रयोग, रामरक्षा, देवी कवच का पाठ करें।
 
* आकर्षण, सम्मोहन, वशीकरण प्रेम प्राप्ति के लिए तांत्रिक प्रयोग।
 
* ग्रह पीड़ा अनुसार पूजा व जप करें।