वैशाख पूर्णिमा को महर्षि भृगु की जयंती है। इस बार यह जयंती 26 मई 2021 को मनाई जाएगी। भृगु ने ही भृगु संहिता की रचना की। उसी काल में उनके भाई स्वायंभुव मनु ने मनु स्मृति की रचना की थी। 'भृगु स्मृति' (आधुनिक मनुस्मृति), 'भृगु संहिता' (ज्योतिष), 'भृगु संहिता' (शिल्प), 'भृगु सूत्र', 'भृगु उपनिषद', 'भृगु गीता' आदि। महाराज भृगु और पराशर मुनि को ज्योतिष का सबसे बड़ा विद्यान माना जाता है। आओ जानते हैं ज्योतिष का महान ग्रंथ भृगु संहित का बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1. भृगु संहित ज्योतिष का एक ग्रंथ है। भृगु संहिता विश्व के ज्योतिष ज्ञान का आदि ग्रंथ है।
2. कहते हैं कि इसमें धरत पर जन्में हर व्यक्ति की कुंडली के बारे में लिखा है।
3. भविष्य में जो लोग जन्म लेने वाले हैं उनकी कुंडली का भी वर्णन है या उनके जीवन का लेखा जोखा भी इसमें लिखा हुआ है।
4. 'भृगु संहिता' में प्रश्नकर्ता के प्रश्नों से तथा जन्मकुंडली प्रस्तुत करने पर उनसे पूरी शुद्धता से उसका भूत, भविष्य एवं वर्तमान का विवरण दे सकते हैं। चलचित्र की भांति ज्योतिषी के सामने ऐसे प्रश्नकर्ता एवं कुंडली प्रस्तुत करने वाले के भूत, वर्तमान एवं भावी जीवन के चित्र आ जाते हैं।
5. भृगु संहित में लग्न को जानकार यह बताया जा सकता है कि आपका भग्योदय क्ब होगा और आपका अगला पिछला जन्म कब हुआ और होगा।
6. भृगु महाराज को कई हजार वर्ष पूर्व हुए थे परंतु भृगु संहित को लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व लिखा गया, ऐसा माना जाता है।
7. इसे फलित ज्योतिष का एक प्रमुख ग्रंथ माना जाता है।
9. तीन प्रकरणों से युक्त ग्रन्थ भृगु संहिता के प्रथम प्रकरण में प्रारंभिक तथा आवश्यक जानकारियां दी गई हैं। दूसरे प्रकरण में लग्नों की कुंडलियों का फलादेश है। ग्रहों की युति उच्च, नीच, मूल, त्रिकोण, मित्र तथा शत्रुराशिस्थ ग्रहों की महादशा से संबंधित फलादेश जैसे विषयों का वर्णन तीसरे प्रकरण में किया गया है।
10. जातक के भूत, भविष्य और वर्तमान की संपूर्ण जानकारी देने वाला यह ग्रंथ भृगु और उनके पुत्र शुक्र के बीच हुए प्रश्नोत्तर के रूप में है। इस ग्रंथ में मानव जाति के भविष्य को बताया है।