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अजा एकादशी : व्रत का महत्व, मुहूर्त, कथा और पारण का समय जानिए

अजा एकादशी : व्रत का महत्व, मुहूर्त, कथा और पारण का समय जानिए - aja ekadashi 2021 date n muhurat
इस वर्ष 3 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
 
व्रत का महत्व- हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। भाद्रपद मास की यह एकादशी अजा एकादशी के नाम से जनमानस में प्रचलित है। इस दिन व्रत का करने वालों को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद ही श्री विष्णु और लक्ष्मी देवी का पूजन करना चाहिए। भाद्रपद कृष्ण पक्ष में आने वाली यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली तथा अश्वमेध यज्ञ का फल देने वाली है।

इस दिन विधि-विधान पूजन के पश्चात व्रत कथा पढ़नी अथवा सुननी चाहिए। निराहार व्रत रखकर शाम को फलाहार करके अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा दक्षिणा देने बाद ही स्वयं को भोजन करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अंत में सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णु लोक को जाता है।
 
यहां पढ़ें अजा/जया एकादशी की पौराणिक व्रतकथा, मुहूर्त एवं पारण का समय- 
 
अजा एकादशी पूजन के मुहूर्त- 
 
अजा एकादशी तिथि का प्रारंभ- गुरुवार, 2 सितंबर 2021 को सुबह 06.21 मिनट से शुरू होगी और शुक्रवार, 3 सितंबर 2021 को सुबह 07.44 मिनट अजा एकादशी  समाप्त होगी। अजा एकादशी का पारणा शनिवार, 4 सितंबर 2021 को सुबह 05.30 मिनट से सुबह 08.23 मिनट तक रहेगा। 
 
कथा- भाद्रपद कृष्ण एकादशी की कथा के अनुसार प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया। वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहां जाऊं, क्या करूं, जिससे मेरा उद्धार हो। 
 
इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दु:खभरी कहानी कह सुनाई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो।
 
गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए। स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा।

व्रत के प्रभाव से राजा को पुन: राज्य मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया। यह सब अजा एकादशी के प्रभाव से ही हुआ। अत: जो मनुष्य यत्न के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर अंत में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

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