गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

उच्च का पंचमेश

उच्च का पंचमेश -
पंचम भाव संतान, विद्या, मनोरंजन, प्रेम को दर्शाता है। इस भाव के जातक की विद्या, उसकी संतान के बारे में, मनोरंजन के साधन व मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता एवं प्रेम संबंध की जानकारी देता है। मेष लग्र वालों के लिए पंचम भाव में सिंह राशि होगी व इसका स्वामी उच्च का होकर लग्न में होगा।

इस स्थिति वाला जातक उच्च शिक्षित प्रशासनिक कार्य में सफल, राजनीतिज्ञ होगा। उसकी संतान उत्तम साहसी, पराक्रमी होगी, लेकिन पत्नी से अनबन या स्वास्थ्य की गड़बड़ी तलाक का कारण बन सकती है। सप्तमेश शुक्र के साथ सूर्य हो तो दाम्पत्य जीवन नष्ट होता है। वृषभ लग्र में पंचमेश उच्च का पंचम भाव में ही होगा, क्योंकि इस भाव में कन्या राशि होगी, जिसका स्वामी बुध होता है।

बुध कन्या में उच्च का होता है। इस स्थिति में वह जातक अत्यंत बुद्धिमान, वाणी का सच्चा, कुटुंब से सहायता पाने वाला, उच्च शिक्षा प्राप्त होगा तथा उसकी संतान बुद्धिमान होगी, लेकिन धन के मामलों में कुछ कठिनाई आएगी। मंगल-बुध की युति प्रेम- विवाह का कारण बन सकती है। मिथुन लग्र में पंचमेश शुक्र उच्च का होकर दशम भाव में होगा। ऐसा जातक गणितज्ञ, उच्च शिक्षा प्राप्त, सीए, मैनेजमेंट में सफल होगा। उसकी संतान बड़े वाहन की मालिक होगी। मनोरंजन का शौकीन, यात्रा में सफल, विदेश यात्रा के अनेक बार योग बनते हैं।

उसकी संतान उच्च शिक्षा पिता के सहयोग से पाती है। कर्क लग्न में वृश्चिक राशि पंचम भाव में होगी, सप्तम भाव में उसका स्वामी उच्च का होगा। ऐसे जातक को पत्नी से लाभ मिलता है। उसकी संतान धनी, माता से लाभ पाने वाली होती है। ऐसा जातक जमीन-जायदाद के अलावा पुलिस विभाग में भी सफलता पाता है।

सिंह लग्न वालों के लिए पंचमेश उच्च का होकर द्वादश भाव में होगा। इस कारण शिक्षा हेतु बाहर जाना पड़ सकता है। उसके बाहरी संबंध अधिक होंगे। भूमि-भवन का सुख मिलेगा। उसे माता से लाभ होगा तथा वह जनता में प्रसिद्ध होगा। शत्रुओं से परेशान रहेगा, लेकिन आयु उत्तम रहेगी। उसकी संतान गुणी, विदेश में रहने वाली या जन्म स्थान से दूर रहेगी। कन्या लग्र में पंचमेश शनि उच्च का द्वितीय भाव में होगा।

उस जातक को विद्या में कमी के साथ लाभ मिलेगा, माता का सुख उत्तम रहेगा। जातक के स्वास्थ्य में गड़बड़ी तथा वह आर्थिक दृष्टि से कमजोर रहेगा। उसकी संतान कम पढ़ी-लिखी, आवारा भी हो सकती है। तुला लग्न में शनि उच्च का लग्न में होगा। विद्या उत्तम, प्रभावशाली, व्यक्तित्व का धनी, अविवाहित होगा। वृश्चिक लग्न में पंचमेश गुरु नवम भाव में उच्च का होगा अतः जातक भाग्यशाली, उत्तम शिक्षा प्राप्त, धार्मिक, बड़ों का सम्मान करने वाला होगा तथा उसकी संतान अत्यंत भाग्यशाली, सुंदर गुणी, धनी होगी।

वह स्वयं भी उच्चाधिकारी या विधायक, मंत्री भी हो सकता है। धनु लग्न में पंचमेश उच्च का होकर द्वितीय भाव में होगा, ऐसा जातक उच्च शिक्षा पाने वाला, धन से पूर्ण, प्रभावपूर्ण वक्ता, सीए, अस्थिरोग विशेषज्ञ, विदेश योग वाला होगा। मकर लग्र में शुक्र उच्च का तृतीय भाव में होगा। उसके भाई धनी होंगे तथा वह स्वयं पराक्रम के बल पर शिक्षा पाएगा तथा स्वप्रयत्नों से ही व्यवसाय, नौकरी आदि पाने वाला होगा।

मित्रों से, संचार माध्यम से भी उसे लाभ होगा। ऐसा जातक टेलीफोन, दूरदर्शन, सौंदर्य प्रसाधन, मनोरंजन के क्षेत्र में सफल होगा। कुंभ लग्न में उच्च का होकर अष्टम भाव में होने से गुप्त तरीके से धनलाभ पाएगा। विद्या में बाधा आएगी और उच्च शिक्षा में कमी रहेगी। कुटुंब से हानि ही प्राप्त होगी। मीन लग्न में पंचमेश चंद्रमा उच्च का होकर तृतीय भाव में होगा।

ऐसे जातक को भाग्योन्नति में बाधा आती है व वह धर्म का पालन भी नहीं कर पाता। विद्या के मामलों में विशेष सफल नहीं होता, लेकिन उसकी मधुर आवाज होती है। लेखन, पत्रकारिता में सफल होता है। सफेद वस्तुओं से भी लाभ पाने वाला होता है।