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Written By ND

एक्वेरियम से सजाएँ अपना घर

कैसे करें मछलियों का रख-रखाव!

architecture | एक्वेरियम से सजाएँ अपना घर
ND
- अनु आर.

जिन लोगों का एक्वेरियम रखने का पहले अनुभव नहीं है, उन्हें पहली बार मछलियों के रख-रखाव में दिक्कतें आ सकती हैं। मछलियों को रखने वाला वाटर टैंक कैसा हो? इसके रखने का ढंग कैसा हो? मछलियों का रख-रखाव कैसे किया जाना चाहिए? और उन्हें किस ढंग से खाना-पीना देना चाहिए? यह कुछ ऐसी बातें हैं जिनका पर्याप्त ज्ञान न होने के कारण घर में एक्वेरियम रखना कठिन होता है। यदि कोई गलती हो जाए तो असावधानीवश मछलियाँ मर भी सकती हैं।

- किस साइज का वॉटर टैंक का चुनाव किया जाए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। वॉटर टैंक का आधार मजबूत होना चाहिए वरना पानी के बोझ में यह नीचे से टूट सकता है। वॉटर टैंक के बेस पर थर्मोकॉल की शीट लगानी चाहिए जिससे उसे काफी सहारा मिलता है। हालाँकि छोटे वॉटर टैंक बड़े की तुलना में काफी सस्ते होते हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। 60 लीटर का वॉटर टैंक कई मछलियों के रखने के लिए उपयुक्त होता है।

- वॉटर टैंक के बेस को मजबूती देने के लिए छोटे कंकड़-पत्थर का इस्तेमाल करें। यदि आप वॉटर टैंक में पानी में रहने वाले छोटे पौधों को लगाना चाहते हैं तो पत्थर का साइज छोटा होना चाहिए। वॉटर टैंक को सजाने के लिए बड़े पत्थर और ड्रिफ्टवुड का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा बैकग्राउंड पोस्टर्स, कृत्रिम या सजीव पौधे, छोटे खिलौने और एक्वेटिक लैंप्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

ND
- नल के पानी में कई तरह के रसायन होते हैं जो मछलियों की सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसलिए वॉटर टैंक में पानी भरते समय हिदायत के अनुसार इसमें एंटीक्लोरीन लिक्विड डालें, उसके बाद इसमें मछलियाँ डालें। वॉटर टैंक को साफ-सुथरा रखने के लिए फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि मछलियों को शुद्ध वातावरण मिल सके।

स्पंज और छोटे पत्थरों द्वारा वॉटर टैंक में ऑक्सीजन संग्रहीत होती है। वॉटर टैंक के बाहर का फिल्टर बिजली द्वारा चलता है। स्पंज का बना फिल्टर हर 15 दिन के बाद वॉटर टैंक की सफाई के लिए अनुकूल होता है। पानी की शुद्धता की जाँच के लिए एक प्रकार के एरियेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके द्वारा पानी में ऑक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

- वॉटर टैंक में मछलियाँ कौन सी और कैसी है यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। दो प्रकार की मछलियाँ होती हैं। 'एग्रेसिव और नॉन एग्रेसिव'इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि एक साथ दोनों वैराइटी को रखना मुमकिन नहीं होता। नॉन एग्रेसिव वैराइटी में सबसे अधिक महत्वपूर्ण गोल्ड फिश है।

सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली गोल्ड फिश ऑरंडा गोल्ड, रेड कैप, शुभांकिन और ब्लैक गोल्ड होती है। इसकी कीमत 40 रु. या इससे अधिक होती है। एग्रेसिव वैराइटी में फ्लावर हॉल और एरोवाना ज्यादातर पसंद की जाती हैं। जिन लोगों को छोटी मछलियाँ पसंद हैं वे मौलीज, गुपाइज और कैट्रा ले सकते हैं।

- मछलियों को दिन में दो बार भोजन देना चाहिए जिसमें 12 घंटे का अंतराल होना जरूरी होता है। भोजन डालने के 10 मिनट के भीतर ही मछलियाँ अपनी जरूरत के अनुसार भोजन ले लेती हैं। यदि मछलियों को भोजन ज्यादा दे दिया जाए तो उनका शरीर फूल जाता है। ज्यादा खाने से मछलियों को अपच भी हो सकती है।

- यदि वॉटर टैंक बड़ा हो तो उसमें मैरीन फिश रखी जा सकती है। इस तरह की मछलियों को रखने के लिए छोटे पत्थर और प्लांटेशन की बजाय कोरल सैंड और रॉक्स उपयुक्त होते हैं। बड़े टैंक के लिए बेहतर क्वॉलिटी का फिल्टर और कृत्रिम नमक और परीक्षण के लिए किट जरूरी होती है जो पानी की गुणवत्ता की जाँच कर सके।