शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. नन्ही दुनिया
  4. »
  5. तेनालीराम की कहानियां
  6. तेनालीराम की कहानियां : तेनाली की कला
Written By WD

तेनालीराम की कहानियां : तेनाली की कला

Tenali Raman Stories in Hindi | तेनालीराम की कहानियां : तेनाली की कला
विजयनगर के राजा अपने महल में चित्रकारी करवाना चाहते थे। इस काम के लिए उन्होंने एक चित्रकार को नियुक्त किया। चित्रों को जिसने देखा सबने बहुत सराहा, पर तेनालीराम को कुछ शंका थी। एक चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य था।

उसके सामने खड़े होकर उसने भोलेपन से पूछा, 'इसका दूसरा पक्ष कहां है?

इसके दूसरे अंग कहां हैं?' राजा ने हंसकर जवाब दिया, 'तुम इतना भी नहीं जानते कि उनकी कल्पना करनी होती है।' तेनालीराम ने मुंह बिदकाते हुए कहा, 'तो चित्र ऐसे बनते हैं! ठीक है, मैं समझ गया।'


कुछ महीने बाद तेनालीराम ने राजा से कहा, 'कई महीनों से मैं दिन-रात चित्रकला सीख रहा हूं। आपकी आज्ञा हो तो मैं राजमहल की दीवारों पर कुछ चित्र बनाना चाहता हूं।'

राजा ने कहा, 'वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है। ऐसा करो, जिन भित्तिचित्रों के रंग उड़ गए हैं उनको मिटाकर नए चित्र बना दो।'


तेनालीराम ने पुराने चित्रों पर सफेदी पोती और उनकी जगह अपने नए चित्र बना दिए। उसने एक पांव यहां बनाया, एक आंख वहां बनाई और एक अंगुली कहीं और। शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के चित्रों से उसने दीवारों को भर दिया।

चित्रकारी के बाद राजा को उसकी कला देखने के लिए निमंत्रित किया। महल की दीवारों पर असंबद्ध अंगों के चित्र देख राजा को बहुत निराशा हुई। राजा ने पूछा, 'यह तुमने क्या किया? तस्वीरें कहां हैं?'

तेनालीराम ने कहा, 'चित्रों में बाकी चीजों की कल्पना करनी पड़ती है। आपने मेरा सबसे अच्छा चित्र तो अभी देखा ही नहीं।'

यह कहकर वह राजा को एक खाली दीवार के पास ले गया जिस पर कुछेक हरी-पीली लकीरें बनी थीं।

'यह क्या है?' राजा ने चिढ़कर पूछा।

'यह घास खाती गाय का चित्र है।'

'लेकिन गाय कहां है?' राजा ने पूछा।

'गाय घास खाकर अपने बाड़े में चली गई।' ये कल्पना कर लीजिए हो गया न चित्र पूरा। राजा उसकी बात सुनकर समझ गया कि आज तेनालीराम ने उस दिन की बात का जवाब दिया है

(समाप्त)
ये भी पढ़ें
शरीर के भीतर 'वायु' के पांच प्रकार, जानिए