खुशनुमा सपने नहीं देता मुझे
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श्याम सखा 'श्याम' दर्द तो जीने नहीं देता मुझे और मैं मरने नहीं देता उसेरूठने का गर मुझे होता पताक्या न मैं खुद ही मना लेता तुझेधड़कनों पर सख्त पहरा उसका हैखुदकुशी करने नहीं देता मुझेपर कतर देता है मेरे इस तरहवो कभी उड़ने नहीं देता मुझेख्वाब दिखलाता तो है उनमें मगररंग भी भरने नहीं देता मुझेमैं अगर तुझको न करता प्यार तोदिल ही तेरा खुद बता देता तुझेथाम लेता है मुझे मेरा ज़मीरशर्म से झुकने नहीं देता मुझेखुद ही था जब चोर मेरे मन में तो फिर भला कैसे गिला देता तुझेयाद आ-आकर उड़ा जाता है नींदखुशनुमा सपने नहीं देता मुझे मैं बिगड़ जाऊँ गवारा कब उसेवो सुधरने भी नहीं देता मुझे।