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Written By ND

रामचरित मानस में 3000 गलतियाँ निकाली

अयोध्या के धार्मिक खेमे में नाराजगी

Goswami Tulsidas | रामचरित मानस में 3000 गलतियाँ निकाली
WD
गोस्वामी तुलसीदास के देहावसान के 387 साल बाद एक संपादक ने उनकी महान रचना रामचरित मानस में व्याकरणिक और भाषाई गड़बडि़याँ निकालने का दावा किया है। इस पर राम जन्मस्थली अयोध्या में विवाद शुरू हो गया है। रामचरितमानस के इस सुधरे हुए संस्करण को तैयार करने में तुलसी पीठ, चित्रकूट के जगद्गुरू रामनंदाचार्य स्वामी राम भद्रछाया को 8 साल की गहन रिसर्च करनी पड़ी।

गोस्वामी जी की अद्भुत लेखनी को चुनौती देने करने की इस दुस्साहसिक घटना से अयोध्या के धार्मिक खेमे में खासी नाराजगी है। शहर के प्रमुख ऋषियों की बैठक में जगद्गुरू को 8 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और बिना शर्त माफी माँगने को कहा गया है। ऐसा ना करने की सजा पद से हाथ धोकर चुकानी पड़ सकती है। हालाँकि 60 साल के नेत्रहीन स्वामी ने इस विरोध के आगे घुटने टेकने से इंकार कर दिया है।

स्वामी के खिलाफ अभियान की अगुआई करने वालों में महंत ज्ञानदास और राम जन्मभूमि न्यास के नृत्य गोपाल दास हैं। दास रामायण में 3,000 गलतियाँ पकड़ने के स्वामी के दुस्साहस पर हैरान हैं। दोनों ने स्वामी पर कुछ चौपाइयों को मिटाने और उनकी जगह नए शब्द डालने का भी आरोप लगाया है। हालाँकि स्वामी के शिष्यों ने इन आरोप को सिरे से नकार दिया है। स्वामी के पक्ष में खड़े लोगों का कहना है कि इस मसले को जरूरत से ज्यादा उछाला जा रहा है। इन लोगों के मुताबिक स्वामी ने सिर्फ विराम चिन्ह और वर्तनी से जु़ड़ी गलतियों को सुधारा है।

स्वामी जब मात्र दो महीने के थे, तभी उनकी आँखों की रोशनी चली गई थी। हालाँकि आगे चलकर वे वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट रहे और पीएचडी और डीलिट की उपाधि हासिल की। उन्होंने 80 किताबें लिखी हैं।