गीत तेरे...!
- नीरज गोस्वामी
गीत तेरे जब से हम गाने लगे भीड़ में सबको नजर आने लगे। सोच को अपनी बदल कर देख तू मन तेरा गर यार मुरझाने लगे।बिन तुम्हारे खैरियत की बात भी पूछते जब लोग तो ताने लगे वो मेहरबाँ है तभी करना यकीं जब बिना माँगे ही सब पाने लगे प्यार अपनों ने किया कुछ इस तरह अब मेरे दुश्मन मुझे भाने लगे सच बयानी की गुजारिश जब हुई चीखते सब लोग हकलाने लगे। खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे नीर मेरे नैन बरसाने लगे।